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साल 1885 में कांग्रेस की स्थापना के बाद से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के 60वें अध्यक्ष बन गए हैं राहुल गांधी. वहीं आजादी के बाद की बात करें तो राहुल गांधी पार्टी के 19वें अध्यक्ष हैं.
कांग्रेस में राहुल के सामने किसी और के नामांकन दाखिल न करने की वजह से उनको निर्विरोध कांग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया. सोनिया गांधी ने राहुल के लिए पहला पर्चा भरा था. अब उनकी ताजपोशी 16 दिसंबर को होगी.
राहुल गांधी पिछले 13 सालों से अपनी मां और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के मार्गदर्शन में राजनीति की बारीकियां सीख रहे हैं. पिछले चार सालों से वह संगठन में उपाध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे हैं.
कांग्रेस में एक बार फिर पीढ़ीगत बदलाव हुआ है. गांधी-नेहरू परिवार में सबसे लंबे वक्त तक पार्टी अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी अब अपने बेटे राहुल गांधी को बागडोर सौंप चुकी हैं.
ये बदलाव देश की सबसे पुरानी पार्टी में नये युग का आगाज करेगा. कांग्रेस पार्टी ने आजादी के बाद से आधी सदी से अधिक समय तक देश पर शासन किया है. नेहरु-गांधी परिवार के वंशज 47 साल के राहुल के सामने पार्टी की खोई हुई प्रतिष्ठा को लौटाने का कठिन काम है. पार्टी के सितारे हाल के सालों में गर्दिश में रहे हैं.
कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद एक के बाद एक विधानसभा चुनावों में हार का सामना कर रही है. हालांकि, उसे पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी. राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव का परिणाम आने से ठीक दो दिन पहले नियुक्त किया जाएगा.
राहुल ने गुजरात में कांग्रेस के लिये जोर-शोर से प्रचार किया है और अगर वह चुनाव में जीत हासिल करती है तो यह उनके लिये संजीवनी बूटी का काम करेगी. कई विश्लेषक गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर होने की बात कह रहे हैं.
महिला कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी प्रवक्ता सुष्मिता देव ने कहा कि पार्टी का पुनर्गठन राहुल के लिये दूसरा बड़ा काम होगा.
उन्होंने कहा, हर पद के साथ चुनौती आती है. राहुल को जमीनी स्तर पर पार्टी का पुनर्निर्माण करना है और इसके वैचारिक आधार को मजबूत करना होगा. पार्टी अध्यक्ष के तौर पर उनका निर्विवाद निर्वाचन उनकी ताकत का संकेत है. उन्हें एआईसीसी से लेकर राज्यों तक सबको साथ लेकर चलना होगा. पार्टी के पुराने नेताओं और युवा नेताओं के बीच संतुलन स्थापित करना संगठन चलाने के लिये महत्वपूर्ण होगा. पार्टी में कई अनुभवी नेता हैं, जिनके अनुभवों का इस्तेमाल वह पार्टी को चलाने में कर सकते हैं.
राहुल ने पहले कहा था कि वह पुराने लोगों के अनुभव और युवाओं की ऊर्जा का इस्तेमाल करेंगे.
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Published: 11 Dec 2017,09:56 AM IST