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पीएम मोदी से बैर नहीं,
सीएम वसुंधरा की खैर नहीं.
अगर दो लाइन में कहें तो राजस्थान में अलवर का उपचुनाव यही है. 29 जनवरी, 2018 राजस्थान के अलवर और अजमेर में लोकसभा और मांडलगढ़ में विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव है. इन चुनावों पर बीजेपी और कांग्रेस आलाकमान की खास नजर है क्योंकि इन्हें साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है.
पिछले साल कथित गौरक्षकों के हाथों पहलू खान और उमर मोहम्मद की हत्याओं के बाद अलवर सुर्खियों में रहा था. वोटरों की नब्ज नापने क्विंट की टीम अलवर पहुंची तो लोग मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से खासे नाराज दिखे. लेकिन दिलचस्प बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बरकरार है. अलवर के ततारपुर गांव में सब्जी की दुकान चलाने वाले ओम प्रकाश कहते हैं:
सितंबर 2017 में बीजेपी सांसद महंत चांद नाथ की मौत के बाद खाली हुई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव ने चांद नाथ ने कांग्रेस नेता और यूपीए सरकार में मंत्री रहे भंवर जितेंद्र सिंह को 2 लाख, 83 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया था.
ओम प्रकाश के मुताबिक वो मोदी लहर का असर था. लेकिन इस बार बीजेपी को लेकर लोगों में नाराजगी है. अलवर राजस्थान की अहीरवाल बेल्ट का हिस्सा है. अलवर के कुल 18.27 लाख वोटरों में से करीब 3.6 लाख यादव हैं. 4.5 लाख दलित, 1.4 लाख जाट, 1.15 लाख ब्राह्मण और 1 लाख के करीब वैश्य वोटर हैं.
जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर ही बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने यादव उम्मीदवारों को टिकट दिया. वसुंधरा सरकार में कैबिनेट मंत्री जसवंत यादव बीजेपी का फूल खिलाने में जुटे हैं तो पूर्व सांसद डॉ. कर्ण सिंह यादव कांग्रेस की तरफ से मैदान में हैं.
अलवर में मेव मुस्लिम वोट की तादाद भी बड़ी है- 3.35 लाख. पिछले साल कथित गौरक्षकों के हाथों पहलू खान और उमर खान की हत्या का असर मुस्लिम समुदाय पर साफ दिखता है. चंदौली बस स्टैंड पर ढाबा चलाने वाले रहमुद्दीन ने क्विंट को बताया:
मुस्लिम समुदाय पूरी तरह कांग्रेस के समर्थन में नजर आ रहा है. लेकिन चंदौली के ही आयुर्वेदिक डॉ. नसीम अहमद का कहना है कि:
इस साल के आखिर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव हैं. बीजेपी आलाकमान की चिंता ये है कि पार्टी राजस्थान में अपने चरम पर है. इस महाजीत को बरकरार रखना कतई आसान नहीं. उधर गुजरात में जीत के दरवाजे के करीब पहुंची कांग्रेस पार्टी राजस्थान को ‘सॉफ्ट टार्गेट’ मान कर चल रही है. ऐसे में ये उपचुनाव हवा के रुख का इशारा भी देंगे और हवा का रुख तय भी करेंगे.
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Published: 25 Jan 2018,05:57 PM IST