advertisement
राजस्थान (Rajasthan) में चुनावों से पहले गहलोत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने गरीबी मिटाने और नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए "राजस्थान न्यूनतम गारंटी आय विधेयक" पारित किया है. कांग्रेस की अगुवाई वाली गहलोत सरकार ने 21 जुलाई को इसे पास किया.
इस अभूतपूर्व कानून का उद्देश्य राज्य के व्यक्तियों और परिवारों को अतिरिक्त न्यूनतम गारंटी वाली आय के समर्थन देने के लिए पात्रता-आधारित सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है. इस प्रगतिशील विधेयक को पेश करके सरकार ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा करने और अपने सभी निवासियों के लिए इनक्लूसिव डेवलपमेंट सुनिश्चित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम उठाया है.
यह भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों, विशेष रूप से अनुच्छेद 39 (ए), 41 और 43 पर बनाया गया है. यह अपने नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने और जीवनस्तर सुरक्षित करने के राज्य के कर्तव्य पर जोर देता है.
इसे ही राजस्थान न्यूनतम गारंटी आय अधिनियम, 2023 कहा जाता है. यह शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को कवर करते हुए पूरे राज्य के लिए है. यह कानून तब लागू होगा जब राज्य सरकार तारीख बताएगी, इसके बाद तेजी से कामकाज सुनिश्चित होगा.
विधेयक के मूल में गारंटीशुदा रोजगार और सामाजिक सुरक्षा पेंशन के प्रावधान हैं. राजस्थान में रहने वाले प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को गारंटीड रोजगार, न्यूनतम कार्यदिवस सुनिश्चित करने और अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार वाजिब वेतन हासिल करने का अधिकार होगा. यह व्यक्तियों को आजीविका कमाने और ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के समग्र विकास में योगदान करने के लिए सशक्त बनाता है.
विधेयक समाज के कमजोर वर्गों की जरूरतों को देखते हुए, वृद्धावस्था, विकलांग, विधवा और सिंगल महिलाओं जैसी श्रेणियों के लिए गारंटीड सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान करता है. पेंशन में प्रति वर्ष पंद्रह प्रतिशत की दर से दो बार बढ़ोतरी होगी. यानी वित्तीय वर्ष 2024-2025 से शुरू होने वाले प्रत्येक वित्तीय वर्ष में जुलाई में पांच प्रतिशत और जनवरी में 10 प्रतिशत पेंशन बढ़ेगी.
यह कानून अच्छे और प्रभावशाली तरीके से लागू हो इसके लिए सरकार ने शहरी और ग्रामीण रोजगार के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए नोडल विभाग बनाया है. इससे पूरी प्रक्रिया सुव्यवस्थित हो जाती है. इससे लाभार्थियों का अपने अधिकारों का फायदा उठाना आसान हो जाता है.
लोकल सेल्फ गर्वनमेंट यानि स्थानीय प्रशासन को शहरी रोजगार के प्रावधानों को लागू करने के लिए नोडल विभाग बनाया गया है. ग्रामीण रोजगार के प्रावधानों को अमलीजामा पहनाने और रोजाना के मैनेजमेंट को देखने के लिए ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग ही नोडल विभाग होगा. गारंटीशुदा सामाजिक सुरक्षा पेंशन के अधिकार के प्रावधानों के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग नोडल विभाग होगा.
इसके अलावा, प्रासंगिक खातों और रिकॉर्ड की स्क्रूटनी की सार्वजनिक जांच का भी प्रावधान इसमें किया गया है. इससे सिस्टम में विश्वास को बढ़ावा मिलता है.
राज्य सरकार एक्ट के कार्यान्वयन की प्रभावी निगरानी और समीक्षा सुनिश्चित करने के लिए, रेगुलर प्रोग्रेस को आंकने और किसी भी चुनौती का समाधान करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक सलाहकार बोर्ड का गठन करेगी.
सलाहकार बोर्ड में राज्य सरकार के कई अन्य सदस्य शामिल होंगे, जिनमें ग्रामीण विकास और पंचायती राज, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, स्थानीय स्वशासन, योजना और वित्त जैसे प्रमुख विभागों के प्रभारी सचिव शामिल होंगे. इस तरह अलग अलग विभागों को मिलाकर काम करने के तौर–तरीकों से इसमें बड़े स्तर पर मॉनिटरिंग का मौका बना रहेगा. अलग-अलग विभागों में सहयोग भी बढ़ेगा.
इसके अलावा, अधिनियम शिकायतों को दूर करने के लिए मजबूत सिस्टम भी तैयार करता है. यदि लाभार्थियों को कोई शिकायत हो तो उसे दर्ज कराने और समय पर समाधान मांगने का अधिकार होगा. शिकायत निवारण सिस्टम की संरचना और कार्यप्रणाली अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप तैयार की जाएगी, जिसमें जवाबदेही और सरकारी प्रतिबद्धता पर जोर दिया जाएगा.
अधिनियम के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए, प्रावधानों को क्रियान्वित करने के लिए जिम्मेदार प्रोग्राम ऑफिसर राजस्थान सामाजिक और प्रदर्शन लेखा परीक्षा प्राधिकरण (आरएसपीएए) को खाते और पुस्तकें प्रदान करेंगे.
आरएसपीएए सामाजिक ऑडिट और प्रदर्शन ऑडिट आयोजित करेगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए और सही लाभार्थियों तक इसका फायदा पहुंचे.
कामकाज की प्रक्रिया को नियमित जांच के अधीन करके, शासन के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है.
यह अधिनियम राज्य सरकार को इसके प्रावधानों को प्रभावी बनाने में आने वाली किसी भी कठिनाई का समाधान करने की शक्ति प्रदान करता है.
अगर, अधिनियम को ठीक से चलाने या लागू करने में कोई दिक्कत आती है तो सरकार ऐसी बाधाओं को दूर करने के लिए जरूरी प्रावधान कर सकती है. इसमें फटाफट कामकाज को ठीक करने, उठाए गए मुद्दों का समाधान करने के उपाय लाने की बात की गई है.
यह समावेशी विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में राज्य की यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है. पात्रता-आधारित सामाजिक सुरक्षा, गारंटीड रोजगार और बढ़ी हुई सामाजिक सुरक्षा पेंशन सुनिश्चित करके, अधिनियम हाशिए पर रहने वाले वर्गों का विकास करता है. प्रत्येक निवासी को सम्मान और बराबरी के मौके देने के लिए सशक्त बनाता है.
राजस्थान न्यूनतम गारंटी आय अधिनियम, 2023 के साथ, राज्य अन्य क्षेत्रों के लिए प्रगतिशील नीतियों को अपनाने और अधिक न्यायसंगत और समावेशी समाज की दिशा में काम करने का मार्ग प्रशस्त करता है. जैसे ही यह क्रांतिकारी कानून प्रभावी होता है, राजस्थान में चुनावी साल में आशा और प्रगति का प्रतीक बनने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ जाता है.
(विक्रम राज एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. यह विचारपरक लेख है और इसमें व्यक्त विचार लेखक हैं, द क्विंट ना तो इसको एंडोर्स करता है और ना ही इसके लिए जवाबदेह है )
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined