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इस तरह असम चुनाव में बीजेपी के ‘PK’ बने रजत सेठी

रजत सेठी की टीम के 2 सदस्‍य ऐसे हैं, जो प्रशांत किशोर की टीम में काम कर चुके हैं.

अमरेश सौरभ
पॉलिटिक्स
Updated:
धर्म में भी रजत सेठी  की गहरी आस्‍था है (फोटो: फेसबुक/रजत सेठी)
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धर्म में भी रजत सेठी की गहरी आस्‍था है (फोटो: फेसबुक/रजत सेठी)
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असम चुनाव में बीजेपी को दो-तिहाई बहुमत मिलने के बाद एक नाम अचानक सुर्खियों में छाता जा रहा है. वह नाम है रजत सेठी. कहा जा रहा है कि प्रदेश में बीजेपी की कामयाबी के पीछे रजत सेठी की टीम का बड़ा रोल है.

दरअसल, रजत सेठी की टीम ने असम में बीजेपी की जीत के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी. इस लिहाज से देखें, तो बीजेपी को रजत के रूप में बिछड़ा हुआ ‘प्रशांत किशोर’ मिल गया है. रजत और बीजेपी के लिए इनकी रणनीति की खास-खास बातों पर डालें एक नजर...

IIT खड़गपुर से हावर्ड तक का सफर

करीब 30 साल के रजत सेठी यूपी के कानपुर के रहने वाले हैं. इन्‍होंने आईआईटी खड़गपुर से डिग्री लेने के बाद हावर्ड यूनिवर्सिटी का रुख किया. हावर्ड से पब्‍ल‍िक पॉलिसी में ग्रेजुएशन किया. यहीं हार्वर्ड इंडिया एसोसिएशन के लिए इवेंट्स कराने लगे. इसी दौरान बीजेपी महासचिव राम माधव के करीब आए.

हावर्ड में पढ़ चुके रजत को बीजेपी का प्रस्‍ताव भा गया (फोटो: फेसबुक/रजत सेठी)

रजत की चमक पर राम माधव की नजर

कहा जाता है कि एक कामयाबी अपने साथ अन्‍य कई कामयाबियों को साथ लाती है. रजत के मामले में भी यह बात सही साबित हुई. पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की कामयाबी को भी रजत की टीम से जोड़कर देखा जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, रजत अमेरिका में हिलेरी क्‍ल‍िंटन के इलेक्‍शन कैंपेन का भी हिस्‍सा रह चुके हैं. रजत की इसी ‘चमक’ पर बीजेपी महासचिव राम माधव की नजर पड़ी. तब उन्‍होंने रजत को अपनी पार्टी की ओर से ऑफर दिया, जिसे उन्‍होंने स्‍वीकार कर लिया.

रजत सेठी के संघ परिवार से राम माधव की करीबी है (फोटो: फेसबुक/रजत सेठी)

टीम PK से 2 लोगों को लाया साथ

रजत सेठी की टीम के 2 सदस्‍य ऐसे हैं, जो प्रशांत किशोर की टीम में काम कर चुके हैं. वही प्रशांत किशोर, जिन्‍हें लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी व नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार अभियान की रणनीति तैयार की थी. बाद में बिहार में नीतीश-लालू की जीत के लिए ‘जमीन’ तैयार की.

बीजेपी को रजत सेठी की काबिलियत का फायदा मिला (फोटो: फेसबुक/रजत सेठी)

असम में फूंक-फूंककर रखा एक-एक कदम

असम में कांग्रेस 15 साल से सत्ता पर काबिज थी, ऐसे में रजत की टीम ने मुश्किलों का अंदाजा पहले से लगा लिया. पिछले साल नवंबर महीने से ही इस टीम ने एक-एक पोलिंग बूथ से लेकर हर विधानसभा सीट के लिए अलग-अलग मुद्दे तय किए. यानी जैसा मर्ज, वैसी दवा. स्‍थानीय मुद्दों और समस्‍याओं को तरजीह मिलने के बाद लोग खुद-ब-खुद बीजेपी की ओर झुकते चले गए. ‘असम निर्माण’ के नारे ने भी लोगों पर गहरी छाप छोड़ी. इस टीम ने देश-विदेश से मिले अनुभव का बेहतर इस्‍तेमाल किया.

विदेश का अनुभव भी काम आया (फोटो: फेसबुक/रजत सेठी)

सर्बानंद को बनाया पार्टी का चेहरा

रजत की टीम बीजेपी को यह बात समझाने में कामयाब रही कि अगर पार्टी ने असम में सीएम उम्‍मीदवार का ऐलान नहीं किया, तो इससे पब्‍ल‍िक के बीच अच्‍छा मेसेज नहीं जाएगा. साथ ही सीएम कैंडिडेट के तौर पर सर्बानंद सोनोवाल जैसे स्‍थानीय नेता का नाम सुझाया गया, जिनकी छवि बेहतर रही है. यह रणनीति कितनी कामयाब रही, अब चुनाव नतीजों से साफ जाहिर है.

जमीनी स्‍तर पर काम करने के बाद इस टीम ने यह अंदाजा लगाया कि अगर बीजेपी असम गण परिषद जैसी स्‍थानीय पार्टी से तालमेल कर ले, तो इससे काफी फायदा हो सकता है. यह रणनीति पूरी तरह कामयाब रही.

असम में चिंतन सभा (फोटो: फेसबुक/रजत सेठी)

बहरहाल, देखना है कि चुनाव की बिसात पर शह और मात देने की रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर और रजत सेठी जैसे युवाओं से सियासी पार्टी कहां-कहां और किस हद तक कामयाबी हासिल कर पाती हैं.

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Published: 20 May 2016,02:19 PM IST

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