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असम और नॉर्थ ईस्ट के कई दलों के विरोध के बावजूद लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हो चुका है. मंगलवार को लोकसभा में इस बिल को पेश किया गया. इस बिल को लेकर पिछले लंबे समय से कई दल विरोध करते आ रहे हैं. सोमवार को इसी बिल के विरोध में असम की राजनीतिक पार्टी एजीपी ने एनडीए से नाता तोड़ दिया था. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह बिल लोकसभा में पेश किया. जिसके बाद कांग्रेस समेत अन्य कुछ दलों ने वॉकआॉउट कर लिया.
लोकसभा में बिल पेश करने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह बिल देश हित में है. यह किसी राज्य के लिए नहीं, बल्कि इससे पूरे देशभर में रहने वाले लोगों पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यह बिल सिर्फ असम के लिए नहीं है. एनआरसी के मुद्दे पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, इस बिल का एनआरसी पर कोई भी असर नहीं होगा. अवैध घुसपैठ पर जरूरी एक्शन लिया जाएगा.
इस बिल के विरोध में कई छोटी राजनीतिक पार्टियों के अलावा कांग्रेस भी है. कांग्रेस ने इस बिल को पेश किए जाने पर वॉकऑउट भी किया. इस बिल के खिलाफ नेताओं ने नारेबाजी भी की. कांग्रेस के अलावा इस बिल का विरोध सीपीआई (एम), असम गण परिषद और शिवसेना भी कर रही है. नेताओं ने आरोप लगाया कि इस बिल से धार्मिक भेदभाव फैलेगा. यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.
यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. यह विधेयक कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय 6 साल भारत में गुजारने और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी. पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक के खिलाफ लोगों का बड़ा तबका प्रदर्शन कर रहा है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा समेत कुछ अन्य पार्टियां लगातार इस विधेयक का विरोध कर रही हैं.
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Published: 08 Jan 2019,04:14 PM IST