मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019लोकसभा में पास हुआ नागरिकता विधेयक, नॉर्थ-ईस्ट में प्रोटेस्ट

लोकसभा में पास हुआ नागरिकता विधेयक, नॉर्थ-ईस्ट में प्रोटेस्ट

असम और नॉर्थ ईस्ट के कई दलों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश कर दिया है. 

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
Updated:
(फोटो: PTI)
i
null
(फोटो: PTI)

advertisement

असम और नॉर्थ ईस्ट के कई दलों के विरोध के बावजूद लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हो चुका है. मंगलवार को लोकसभा में इस बिल को पेश किया गया. इस बिल को लेकर पिछले लंबे समय से कई दल विरोध करते आ रहे हैं. सोमवार को इसी बिल के विरोध में असम की राजनीतिक पार्टी एजीपी ने एनडीए से नाता तोड़ दिया था. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह बिल लोकसभा में पेश किया. जिसके बाद कांग्रेस समेत अन्य कुछ दलों ने वॉकआॉउट कर लिया.

क्या बोले राजनाथ सिंह

लोकसभा में बिल पेश करने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह बिल देश हित में है. यह किसी राज्य के लिए नहीं, बल्कि इससे पूरे देशभर में रहने वाले लोगों पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यह बिल सिर्फ असम के लिए नहीं है. एनआरसी के मुद्दे पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, इस बिल का एनआरसी पर कोई भी असर नहीं होगा. अवैध घुसपैठ पर जरूरी एक्शन लिया जाएगा.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक के विरोध में असम और नॉर्थ-ईस्ट के अन्य राज्यों में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने के विरोध में मंगलवार को असम बंद बुलाया गया. जिसका असर पूरे शहर में दिखा. 
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बिल के विरोध में कांग्रेस

इस बिल के विरोध में कई छोटी राजनीतिक पार्टियों के अलावा कांग्रेस भी है. कांग्रेस ने इस बिल को पेश किए जाने पर वॉकऑउट भी किया. इस बिल के खिलाफ नेताओं ने नारेबाजी भी की. कांग्रेस के अलावा इस बिल का विरोध सीपीआई (एम), असम गण परिषद और शिवसेना भी कर रही है. नेताओं ने आरोप लगाया कि इस बिल से धार्मिक भेदभाव फैलेगा. यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.

क्या है नागरिकता (संशोधन) विधेयक

यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. यह विधेयक कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय 6 साल भारत में गुजारने और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी. पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक के खिलाफ लोगों का बड़ा तबका प्रदर्शन कर रहा है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा समेत कुछ अन्य पार्टियां लगातार इस विधेयक का विरोध कर रही हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 08 Jan 2019,04:14 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT