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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बाद अब आरएसएस के प्रोग्राम में उद्योगपति रतन टाटा ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा किया. हालांकि इसे संघ के एनजीओ की ओर से आयोजित कार्यक्रम बताया जा रहा है. कार्यक्रम में भागवत ने रतन टाटा से भाषण देने के लिए कहा लेकिन उन्होंने कुछ बोलना मंजूर नहीं किया.
संघ से जुड़े एनजीओ नाना पालकर स्मृति का न्योते पर इस कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस दौरान मंच पर वह मोहन भागवत के बगल मंच पर बैठे. इससे पहले 2016 में रतन टाटा ने मोहन भागवत से मुलाकात की थी.
कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने कहा कि कहा कि 'धर्म' का मतलब सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि एक सामाजिक कर्तव्य भी है और शासक 'राज धर्म' की बात करते हैं. भागवत ने कहा कि धर्म पिता के प्रति बेटे का कर्तव्य है, पिता का बेटे के प्रति कर्तव्य है और जिन्हें सत्ता के लिए चुना जाता है वह 'राजधर्म' की बात करते हैं. हमें बदले में बिना कुछ चाहे अपना कर्तव्य निभाना चाहिए.
जून में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होकर भारत में सहिष्णुता की परंपरा पर भाषण दिया था. हालांकि कांग्रेस की ओर से उनके इस इस कदम की आलोचना हुई थी. वैसे संघ ने इसे अपनी बड़ी कामयाबी के तौर पर पेश किया था.
रतन टाटा जिस कार्यक्रम में शामिल हुए वह एक एनजीओ है और मरीजों के लिए काम करता है. संघ के पूर्णकालिक प्रचारक रहे नारायण हरि पालकर उर्फ नाना पालकर की स्मृति में इसकी स्थापना 1968 में की गई थी.
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