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लोकसभा चुनाव(General Election) से ठीक पहले महाराष्ट्र(Maharashtra) में उद्धव ठाकरे के गुट को एक बार फिर से झटका मिला है. एक वक्त ने उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाने वाले रविंद्र वायकर ने शिवसेना (UBT) का साथ छोड़कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का दामन थाम लिया है.
पिछले 3 महीने से लगातार अटकलें लगाई जा रही थी की वायकर पार्टी बदल सकते हैं. ED की रेड के बाद और लगातार जारी होते समन के चलते ऐसी अटकलों का बाजार गर्म था. मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा ने वायकर पर बीजेपी के किरीट सोमैया की शिकायत के बाद 500 करोड़ के कथित घोटाले में शामिल होने पर मामला भी दर्ज किया था.
किरीट सोमैया ने आरोप लगाते हुए कहा था कि वायकर ने पार्क बनाने के लिए छोड़ी गई BMC की जमीन पर होटल निर्माण की स्वीकृति प्राप्त की और ऐसा करने में अपने राजनीतिक रसूख का फायदा उठाया.
शिवसेना के संजय राउत का कहना है कि वायकर ने ये फैसला केंद्रीय जांच एजेंसीज के दबाव में आकर लिया है.
रवींद्र वायकर उद्धव ठाकरे के नजदीकी माने जाते थे. 65 वर्षीय वायकर ने 1980 में एक शिवसैनिक के तौर पर राजनीति में प्रवेश किया और मुंबई के जोगेश्वरी से BMC कॉर्पोरेटर बने और लगातार 4 बार कॉर्पोरेटर का चुनाव जीता. इसके बाद वो 2006-2009 तक बीएमसी (BMC) के स्टैंडिंग कमिटी के चेयरपर्सन भी रहे.
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन यानी महा विकास अघाड़ी (MVA) जब 2019 में सत्ता में आई तो इन्होंने अपने गृह जिले रत्नागिरी के संरक्षक का पदभार सम्भाला.
वायकर को उन कुछ निष्ठावान शिवसैनिकों में गिना जाता रहा है जिन्होंने शिवसेना को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 2012 में बाल ठाकरे की मौत के बाद से वायकर ने राज्य में पार्टी के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी निभाई. उद्धव ठाकरे ने 2004 में शिवसेना की जिम्मेदारी जब अपने कंधे पर उठाई वायकर तबसे उनके साथ थे.
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