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यूपी विधानसभा चुनावों (UP Assembly Elections) के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है लेकिन पार्टी से ज्यादा जोर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) लगा रहा है. राज्य में सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के साथ कई मंत्रियों और बड़े नेताओं के मनमुटाव के बीच संघ ने चुनावी कैंपेन की लगाम थाम ली है. RSS इस बार चुनाव में इस कदर शामिल दिख रहा है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ.
कोरोना महामारी की दूसरी वेव ने उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रखी दी थी. अपनों को खोने वाले लोगों के अलावा योगी सरकार के कई मंत्री से लेकर विधायक तक अपने शासन के खिलाफ ही बोलने लगे थे.
यूपी चुनाव से पहले राम मंदिर से जुड़ा इतना बड़ा विवाद सामने आना बीजेपी और RSS दोनों के लिए परेशानी की बात है. अगर राम मंदिर परियोजना ऐसे ही विवादों में घिरी रहेगी तो 2024 लोकसभा चुनावों के समय भी किरकिरी हो सकती है. इसलिए इस समस्या को दूर करने का जिम्मा अब संघ ने उठाया है.
ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि संघ में फैसला किया गया है कि सरकार्यवाह रह चुके सुरेश भैयाजी जोशी राम मंदिर परियोजना के केयरटेकर बनाए जाएंगे. जोशी के पास राम मंदिर को विवादों से निकालने की जिम्मेदारी होगी. औपचारिक रूप से ट्रस्ट ही परियोजना संभालेगा लेकिन कमान जोशी के हाथों में रहने की उम्मीद है.
राम मंदिर इस सपने का सबसे बड़ा हिस्सा है. परियोजना के लिए बड़ा चंदा अभियान चलाया गया था. कई हजार करोड़ इकट्ठा हुए हैं. रोडमैप तैयार है लेकिन इसी बीच घोटाले के आरोपों ने संघ की योजना में खलल डाल दिया है. मंदिर परियोजना यूपी और लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भी महत्वपूर्ण है और RSS इसे लेकर किसी भी तरह का संदेह पैदा नहीं होने देना चाहता है. भैयाजी जोशी का काम इसी को सुनिश्चित करना होगा.
RSS चुनावों के लिए बहु-आयामी रणनीति पर काम कर रहा है. एक तरफ जोशी राम मंदिर का काम देखेंगे, तो संघ के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसाबले राजनीतिक मुद्दों पर नजर रखेंगे. यूपी चुनाव RSS के लिए कितना अहम है, ये जोशी और होसाबले जैसे दो बड़े नेताओं का एक साथ राज्य में होना बताता है.
यूपी बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है. होसाबले के लिए सबसे बड़ी चुनौती योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बन रहे माहौल को नियंत्रण में रखना है. विधायक तो विधायक, योगी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तक नाराज बताए जाते हैं.
मौर्य प्रकरण को नियंत्रण में रखने में भी दत्तात्रेय होसाबले ने भूमिका निभाई थी. लगभग एक हफ्ते पहले योगी अपने आधिकारिक आवास से कुछ दूर स्थित मौर्य के घर पहुंचे थे. कहा गया कि सीएम बनने के बाद पहली बार योगी ने ऐसा किया था. इस मुलाकात के दौरान होसाबले मौजूद थे.
पीएम मोदी के करीबी एके शर्मा को बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष बनाने में भी संघ की भूमिका देखी गई थी. संघ बीजेपी के संगठन मंत्री बीएल संतोष के जरिए भी यूपी की नब्ज टटोल रहा है. संतोष ने हाल ही में दूसरी बार यूपी का दौरा किया था, वो भी 20 दिनों के अंदर ही. वो लगातार पार्टी नेताओं से फीडबैक ले रहे हैं.
संघ हमेशा से बीजेपी की कलहों और समस्या दूर करता रहा है. लेकिन जब बात योगी और मोदी जैसे दिग्गजों के बीच तनातनी की हो तो ड्रामा हाई-वोल्टेज हो जाता है.
जून की शुरुआत में संघ ने दिल्ली में बैठकें की थीं. इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत भी शामिल हुए थे. बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी राज्य के प्रभारियों से मुलाकात की थी. भागवत की बैठक में जोशी और होसाबले दोनों शामिल हुए थे. खबरें थीं कि योगी सरकार के कोरोना सेकंड वेव के दौरान कामकाज पर चर्चा हुई थी.
क्योंकि चुनाव पास आते ही माहौल फिर गरमा सकता है, इसलिए संघ ने पहले से ही दो बड़े नेता यूपी भेज दिए हैं. सीएम फेस से लेकर उम्मीदवारों के चुनाव तक, मुश्किलें अभी कई आएंगी और संघ इसके लिए तैयार रहना चाहता है.
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