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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के राम मंदिर पर दिए बयान के बाद सियासत तेज हो गई है. भागवत ने शुक्रवार को कर्नाटक के उडुपी में कहा था कि विवादित स्थल पर सिर्फ मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं और इस बारे में किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए.
उनके इस बयान पर मुस्लिम संगठनों ने कड़ा ऐतराज जाहिर किया है. साथ ही उनके इस बयान को सुप्रीम कोर्ट को चुनौती करार दिया है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा, “बोर्ड अदालत पर यकीन रखता है और उसके फैसले के मुताबिक अमल की कोशिश करेगा. भागवत ने बयान देकर कानून को अपने हाथ में लिया है.”
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जीलानी ने भी भागवत के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
जफरयाब जीलानी ने कहा कि उन्हें लगता है कि भागवत ने गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा बयान दिया है.
वहीं, AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी आरोप लगाया कि मोहन भागवत और बीजेपी राम मंदिर के मुद्दे को उछालकर गुजरात विधानसभा चुनाव में राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं.
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा कि पांच दिसंबर से अयोध्या विवाद को लेकर सुनवाई शुरू होने से पहले आरएसएस और बीजेपी डर का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ये बयान न तो देश के लिए अच्छा है और न ही देश के सुप्रीम कोर्ट के लिए.
विश्व हिंदू परिषद(विहिप) के तीन दिवसीय धर्म संसद में भागवत ने कहा, "राम मंदिर राम जन्मभूमि पर ही बनेगा और वहां कुछ भी नहीं बनेगा. इसका निर्माण किया जाएगा और वास्तविक स्वरूप में उन्हीं पत्थरों से निर्माण किया जाएगा. इसका निर्माण उनके नेतृत्व में होगा, जिन्होंने इस आंदोलन की अगुवाई की थी और इसके लिए 20-25 सालों तक लड़ते रहे."
भागवत ने कहा, "समय काफी नजदीक आ गया है. हमें बहुत सावधान रहना होगा और एक-एक करके कदम उठाना होगा. हमें और किसी चीज के बारे में नहीं सोचना होगा."
देखें वीडियो | गोरक्षा के काम में लगे कई धर्मों के लोग: मोहन भागवत
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