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बिहार BJP की नई टीम में ब्राह्मण-राजपूत का दबदबा,किस जाति पर कितना और क्यों फोकस?

Samrat Chaudhary की टीम में कुल 38 नेताओं को जगह दी गई है.

पल्लव मिश्रा
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Bihar:बड़े-बड़े दिग्गजों को मात देकर सम्राट चौधरी कैसे BJP के प्रदेश अध्यक्ष बने</p></div>
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Bihar:बड़े-बड़े दिग्गजों को मात देकर सम्राट चौधरी कैसे BJP के प्रदेश अध्यक्ष बने

(फोटो-क्विंट हिंदी)

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बिहार बिहार के अध्यक्ष सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) ने बुधवार (8 अगस्त) को अपनी टीम का ऐलान कर दिया. लोकसभा चुनाव 2024 से आठ महीने पहले घोषित की गई टीम में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है. माना जा रहा है कि बीजेपी बिहार में 2024 में लोकसभा चुनाव और 2025 में विधानसभा चुनाव इसी टीम के साथ लड़ेगी.

टीम में कितनों को किया गया शामिल?

सम्राट चौधरी की टीम में कुल 38 नेताओं को जगह दी गई है. इसमें पांच महामंत्री, 12 उपाध्यक्ष और 12 मंत्री बने हैं. एक मुख्यालय प्रभारी, दो सह-प्रभारी, एक कोषाध्यक्ष के अलावा दो सह-कोषाध्यक्ष भी हैं. एक नेता को कार्यालय मंत्री और दो को सह कार्यालय मंत्री बनाया गया है.

बिहार बीजेपी की टीम

(फोटो: बिहार बीजेपी/ट्विटर)

बीजेपी की लिस्ट में बिहार के जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. यही कारण है कि इसमें सवर्णों से लेकर पिछड़ों तक को जगह मिली है. हालांकि, लिस्ट में एक भी अल्पंख्यक का नाम नहीं है. लेकिन अति पिछड़ा समाज और सवर्ण नेताओं की संख्या अधिक है.

बीजेपी ने 8 अगस्त को जारी की पदाधिकारियों की लिस्ट.

(फोटो: बिहार बीजेपी/ट्विटर)

किस जाति से किसको मिली जगह?

बिहार में अति पिछड़ा समाज की आबादी सबसे अधिक यानी करीब 21.1 फीसदी है. बीजेपी ने सूची इसका पूरा ख्याल भी रखा है. सम्राट चौधरी की टीम में कुल 8 ईबीसी नेताओं को जगह मिली है. इसमें अति पिछड़ा समाज से आने वाले भीम सिंह चंद्रवंशी, शीला प्रजापति, अनिल ठाकुर, नंदलाल चौहान, नितिन अभिषेक, राज भूषण निषाद, ललन मंडल, अमित दांगी का नाम शामिल है.

बिहार में ब्राह्मणों की संख्या 5.7 फीसदी है और टीम में कुल छह ब्राह्मण नेताओं को शामिल किया गया है. इसमें मिथिलेश तिवारी, संतोष पाठक, राकेश तिवारी, दिलीप मिश्रा, ज्ञान प्रकाश ओझा और सरोज झा का नाम है.

भूमिहार जाति की आबादी 4.7 फीसदी है और टीम में पांच नेताओं को जगह दी गई है. इसमें जगन्नाथ ठाकुर, रीता शर्मा, संतोष रंजन, धीरेंद्र कुमार सिंह और अरविंद शर्मा हैं.

राजपूत बिहार में 5.2 फीसदी हैं और कुल पांच नेताओं को जगह मिली है. राजपूत समाज से राजेंद्र सिंह, नूतन सिंह, अमृता भूषण, त्रिविक्रम सिंह और आशुतोष शंकर सिंह को शामिल किया गया है.

कायस्थ राज्य में 1.5 फीसदी के करीब है, ऐसे में राजेश वर्मा को जगह दी गई है. यादव जाति से मात्र स्वदेश यादव को स्थान दिया गया है.

कुर्मी जाति से सरोज रंजन पटेल और प्रवीण चंद्र राय को ही शामिल किया है. कुशवाहा जाति से तीन नेता- ललिता कुशवाहा, रत्नेश कुशवाहा और जितेंद्र कुशवाहा को सम्राट चौधरी की टीम में स्थान मिला है.

वैश्य से चार नेता- सिद्धार्थ शंभू, प्रियंवदा केसरी, संजय गुप्ता और संजय खंडेलिया को स्थान मिला है. जबकि अनुसूचित जाति से तीन नेता- शिवेश राम, सुग्रीव और गुरु प्रकाश शामिल हैं.

सम्राट चौधरी की टीम में जातीय समीकरण

(फोटो: क्विंट हिंदी)

बीजेपी की नई लिस्ट को देखें तो दो सवाल उठते हैं. जैसे-

  1. कुर्मी, कुशवाहा, वैश्य, यादव, एससी को को क्यों मिला कम प्रतिनिधित्व?

  2. मुस्लिम, महादलित और निषाद को जगह नहीं मिली है?

कुर्मी, कुशवाहा, वैश्य, यादव, एससी को क्यों मिला कम प्रतिनिधित्व?

राज्य में कुर्मी की संख्या 5 फीसदी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद कुर्मी जातीय से आते हैं. इसके बावजूद पार्टी ने सिर्फ 3 कुर्मी नेताओं को जगह दी है.

बीजेपी से जुड़े सूत्रों की मानें तो, पार्टी ने कुर्मी नेता के तौर पर सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेला है. सम्राट चौधरी विधान परिषद में नेता विपक्ष भी हैं. उनकी पहचान बिहार में सड़क से सदन तक संघर्ष करने वाले नेता की रही है. युवाओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ है और अपनी जाति में भी दबदबा है.

सम्राट चौधरी नीतीश कुमार के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं. पार्टी को लगता है कि ऐसा नेता ही जमीन पर बीजेपी को मजबूत कर सकता है. और इसलिए पार्टी कुर्मी के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी को ही आगे कर रही है.

इसके अलावा, जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश कुमार के करीबी आरसीपी सिंह भी बीजेपी में कुछ महीने पहले शामिल हुए हैं. कुर्मी समाज से आने वाले सिंह मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.

बिहार में करीब 7 से 8 फीसदी कुशवाहा हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने उपेंद्र कुशवाहा को अपने पाले में करके पहले ही कुशवाहा मतदाताओं को अपने तरफ खींचने का प्रयास किया है. उपेंद्र कुशवाहा का 13 से 14 जिलों में प्रभाव है.

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वैश्य राज्य में 7.1 फीसदी हैं और ये बीजेपी का बिहार में कोर वोटर माना जाता है. पार्टी ने संजय जायसवाल को तीन साल तक राज्य बीजेपी की कमान दी थी, उसके बाद अब उन्हें कुछ दिन पहले जारी हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची में भी शामिल किया है. ऐसे में पार्टी को लगता है कि उसका कोर मतदाता उससे नहीं छिटकेगा. संजय जायसवाल वर्तमान में पश्चिम चंपारण सीट से सांसद भी हैं.

यादव राज्य में 14.4 फीसदी हैं, लेकिन चौधरी की टीम में सिर्फ एक को जगह मिली है. दरअसल, माना जाता है कि यादव हमेशा से आरजेडी के मु्ख्य वोटर्स रहे हैं. ऐसे में चौधरी ने अपनी टीम में यादवों को ज्यादा तवज्जोह नहीं दी है. हालांकि, बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने नित्यानंद राय को केंद्र में गृह राज्यमंत्री बनाकर पहले ही यादवों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश की है.

अनुसूचित जाति से तीन नेताओं को जगह मिली है, जबकि इनकी संख्या 4.2 फीसदी है.

जानकारों का कहना है कि चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों गुट एनडीए का हिस्सा हैं. पासवान दलित हैं, और बीजेपी इनको अपने पाले में करके दलित वोटबैंक में सेंधमारी करने का प्रयास पहले ही कर चुकी है.

विजय कुमार सिन्हा को पहले पार्टी ने विधानसभा स्पीकर और बाद में नेता प्रतिपक्ष बनाकर पहले ही फॉर्वड्स को हिस्सेदारी दे रखी है. फॉर्वड जाति बीजेपी के प्रमुख वोटर रहे हैं.

बिहार में किस जाति की कितनी संख्या?

(फोटो-क्विंट हिंदी)

मुस्लिम, महादलित और निषाद को जगह नहीं मिली है?

दरअसल, मुस्लिम बिहार में आरजेडी और जेडीयू के साथ रहे हैं. ऐसे में पार्टी का ध्यान अभी सिर्फ पसमांदा मुस्लिमों पर है. बीजेपी ने नड्डा की नई टीम में यूपी के एमएलसी तारिक मंसूर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर पहले ही पसमांदाओं को संदेश देने का प्रयास किया है.

वहीं, महादलित समाज से आने वाले जीतन राम मांझी भी पिछले दिनों एनडीए का हिस्सा बन गये हैं. राज्य में महादलित की 10 प्रतिशत आबादी है. चर्चा है कि आने वाले दिनों में महादलित नेताओं में से किसी को बड़ी जिम्मेदारी पार्टी दे सकती है.

मुकेश सहनी मल्लाह समाज से आते हैं और प्रदेश में निषादों की आबादी करीब 3-4 फीसदी है. बिहार में 5 लोकसभा सीटों पर निषादों का सीधा प्रभाव है. बीजेपी ने कुछ महीने पहले VIP पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी को Y+ सुरक्षा देकर उन्हें भी अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है. माना जा रहा है कि जल्द ही सहनी भी एनडीए का हिस्सा होंगे.

कुल मिलाकर देखें तो, सम्राट चौधरी की टीम में बीजेपी ने राज्य की जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है. महागठबंधन के काट निकालने को लेकर पहले ही छोटे दलों को एनडीए में शामिल करा लिया है, जबकि कुछ को केंद्र की सरकार और राष्ट्रीय टीम में जगह देकर सियासत को साधने की कोशिश की है.

अब देखना दिलचस्प होगा कि इसके सहारे बीजेपी आगामी चुनावों में कितना सफलता हासिल कर पाती है. हालांकि, बिहार के उपचुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद से बीजेपी खासी उत्साहित है.

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