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इलेक्टोरल बॉन्ड में छिपे हुए अल्फान्यूमेरिक नंबर होने के ‘द क्विंट’ के खुलासे पर एसबीआई ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. बैंक के प्रवक्ता ने इस नंबर को बॉन्ड का सिक्यूरिटी फीचर करार दिया है. प्रवक्ता ने कहा कि एसबीआई के अनुरोध पर ही डिजाइन और सिक्यूरिटी फीचर बॉन्ड में डाले गए थे.
प्रवक्ता ने कहा कि बांड जारी करने और पेमेंट की प्रक्रिया इस तरह की बनाई गई है कि बैंक के न तो डोनर और न ही राजनीतिक दलों के लिए इन नंबरों का कोई रिकार्ड रख सके. रिकार्ड में कितने रुपये वाले रुपये वाले बांड जारी किए इसकी गिनती और भुगतान का रिकार्ड रखा जाता है. यह पता करने का कोई तरीका नहीं है कि किसने किस पार्टी को चंदा दिया है. बैंक सिर्फ चंदा देने वाले से जुड़े केवाईसी/एएमएल रिकार्ड मुहैया करा सकता है.
संबंधित कानून के तहत ही यह रिकार्ड किसी अधिकृत जांच एजेंसी या कोर्ट को दिया जा सकता है. बैंक के पास यह डिटेल किसी भी सरकारी विभाग या एजेंसी से साझा करने का अधिकार नहीं है.
इससे पहले भी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि बॉन्ड में जो नंबर हैं वे सिर्फ इसके सिक्यूरिटी फीचर्स हैं. उन्होंने साफ कह था कि यह चंदा देने वालों और राजनीतिक पार्टियों के लिंक को ट्रैक करने के लिए नहीं डाला गया है. यह बयान देकर बैंक के अधिकारी ने मान लिया कि बॉन्ड में अल्फान्यूमेरिक नंबर मौजूद हैं. यह वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस बयान के उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये चंदा देने वाला का नाम बिल्कुल गुप्त रहेगा.
जेटली ने इस बात का भरोसा दिलाया था कि चंदा देने वालों ने राजनीतिक पार्टी को कितना पैसा दिया यह सिर्फ उसे ही पता होगा. किसी और को यह जानकारी नहीं होगी.
बहरहाल, बैंक अधिकारी के बयान से सवाल तो बना ही हुआ है. सवाल है कि अगर छिपे हुए नंबर को सिक्यूरिटी फीचर कहा जा रहा है. लेकिन सिक्यूरिटी के लिए तो बांड में मौजूद वाटरमार्क ही काफी होना चाहिए था. यह भी उन लोगों की सिक्यूरिटी के लिए बना है जो चंदा देंगे.
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Published: 12 Apr 2018,08:12 PM IST