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हाल ही में महाराष्ट्र के विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात कर लोगों को चौंका दिया था. अब दोनों की इस मुलाकात पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में संपादकीय लिखा है. इस मुलाकात के बाद उठ रहे नए राजनैतिक समीकरण और 'ऑपरेशन कमल' की चर्चा को विराम देने का प्रयास संपादक और शिवसेना सांसद संजय राउत कर रहे हैं.
सामना में आगे लोकतंत्र का उदाहरण देते हुए लिखा है कि, 'इंदिरा गांधी की पराजय जयप्रकाश नारायण के नेतृत्ववाली जनता पार्टी ने किया, उससे पहले इंदिरा जी ने जयप्रकाश सहित विपक्ष के प्रमुख नेताओं को जेल में डाला, फिर भी पराजित हुई इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण से मिलकर उनका आशीर्वाद लिया.
महाराष्ट्र में शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे का आशीर्वाद लेने के लिए सभी दलों के लोग ‘मातोश्री’ जाते थे. कुछ नेताओं की ओर राजनीति से परे जाकर देखना चाहिए और आज श्री शरद पवार उनमें के ही एक प्रमुख नेता हैं. इसीलिए देवेंद्र फडणवीस पवार से मिले. इसका कोई और मतलब निकालने की जरूरत नहीं, मिले होंगे तो ठीक ही हुआ. काफी समय बाद फडणवीस योग्य व्यक्ति से मिले. उस मुलाकात से उन्हें निश्चित ही सकारात्मक ऊर्जा मिली होगी.'
साथ ही विपक्ष को आगाह करते हुए राउत ने लिखा है कि, '
संपादकीय में आगे लिखा है- सत्ता का अमरपट्टा लेकर कोई भी नहीं आया, राम-कृष्ण भी आए-गए, वहां आज का राजनीतिज्ञ कौन? देश और राज्य पर संकट बड़ा है, उत्तर प्रदेश, बिहार में गंगा में लाशें तैर रही हैं… बह रही हैं. इस परिप्रेक्ष्य में महाराष्ट्र की स्थिति निश्चित नियंत्रण में है. फडणवीस-पवार मुलाकात का विषय भी चर्चा में आया होगा ही. पवार-फडणवीस मुलाकात में रहस्य ऐसा कुछ भी नहीं. किसी को उसमें रहस्यमय आदि लग रहा है तो वो पवार को जानते नहीं हैं, ऐसा ही कहना होगा!'
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