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प्रधानमंत्री को पत्र लिखना देशद्रोह कैसे हो सकता है: स्टालिन

स्टालिन ने सवाल किया, “धर्म निरपेक्षता और सहिष्णुता कायम रखने के लिए कहना देशद्रोह कैसे हो गया?”

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स्टालिन ने सवाल किया, “धर्म निरपेक्षता और सहिष्णुता कायम रखने के लिए कहना देशद्रोह कैसे हो गया?”
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स्टालिन ने सवाल किया, “धर्म निरपेक्षता और सहिष्णुता कायम रखने के लिए कहना देशद्रोह कैसे हो गया?”
(फोटो: IANS)

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द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि पीएम मोदी को सहिष्णुता और सांप्रदायिक सद्भाव कायम रखने की मांग करते हुए लेटर लिखना देशद्रोह कैसे हो सकता है.

वह बिहार में एक पुलिस थाने में फिल्मकार मणि रत्नम, अभिनेत्री रेवती और इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत 49 मशहूर लोगों पर दर्ज मामले के संदर्भ में यह बात कह रहे थे. इन लोगों ने देश में मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या) के मामलों पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था.

स्टालिन ने सवाल किया, "धर्म निरपेक्षता और सहिष्णुता कायम रखने के लिए कहना देशद्रोह कैसे हो गया?" डीएमके अध्यक्ष स्टालिन को गुहा, रेवती, मणि रत्नम और अन्य को देशद्रोही कहना स्वीकार्य नहीं है.

एफआईआर की निंदा करते हुए स्टालिन ने कहा कि ये लोगों के मन में डर और संदेह पैदा करेगा कि क्या वो लोकतांत्रिक देश में रहते हैं.

49 हस्तियों ने लिखी थी पीएम को चिट्ठी

श्याम बेनेगल, मणिरत्नम, अनुराग कश्यप, सौमित्र चटर्जी, अपर्णा सेन, अदूर गोपालकृष्णन और शुभा मुद्गल समेत 49 मशहूर हस्तियों ने इसी साल जुलाई में प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी. अपनी चिट्ठी में सभी ने कहा था कि मुस्लिमों, दलितों और दूसरे अल्पसंख्यकों की मॉब लिंचिंग को तुरंत रोकने के लिए सरकार कड़े कदम उठाए. इसके साथ ही लिखा गया था कि असहमति के बगैर लोकतंत्र की कल्पना मुश्किल है.

FIR पर नाराजगी

FIR अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल, स्वरा भास्कर समेत कई सोशल मीडिया यूजर्स ने गुस्सा जाहिर किया है.

यह हास्यास्पद है, चिट्ठी में राजद्रोह जैसा कुछ भी नहीं है. ये बहुत ही अजीब समय हैं. धीरे-धीरे, हमारा लोकतांत्रिक हक छीना जा रहा है. यह सिर्फ उत्पीड़न है और कुछ नहीं.
अपर्णा सेन, फिल्ममेकर

डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने क्विंट से बात करते हुए हैरान थे कि इन बातों को भी देशद्रोही माना जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि क्या कहना है, मुझे समझने के लिए एफआईआर को देखना होगा कि वास्तव में क्या कहा गया है. किसी ने मुझे यह कहते हुए लेटर भेजा था कि यह प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र है और हम इस पर आपका हस्ताक्षर चाहेंगे और ऐसा करना सही लगता है, क्योंकि मॉब लिंचिंग ऐसी चीज है, जिसे आप लोकतांत्रिक समाज में सही नहीं कह सकते. अगर इसे राजद्रोह माना जाने वाला है, तो मुझे नहीं पता कि परिभाषाएं बदल गई हैं.

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