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भीमा कोरेगांव-यलगार परिषद मामले की जांच NIA को सौंपे जाने और इस केस में चल रही जांच से NCP प्रमुख शरद पवार खुश नहीं हैं. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार इस मामले की समानांतर जांच का ऐलान कर सकती है.
बता दें कि NIA ने पिछले हफ्तेभर से इस मामले में अपनी जांच तेज कर दी है, अब तक पुणे के करीब कला मंच के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया है.
शरद पवार इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि भीमा कोरेगांव की घटना के बाद फडणवीस सरकाने के वक्त जो जांच हुई उससे दलित समाज खुश नहीं है. कहा जा रहा है कि घटना को अंजाम देने का जिन पर आरोप है ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं हुई, जबकि जांच के यलगार परिषद और 'अर्बन नक्सल' एंगल सामने आने के बाद इसमें कई बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारियां हुईं. शायद इस वर्ग को न्याय दिलाने के लिए और राजनीतिक तौर पर अपनी और स्थिति और मजबूत करने के लिए पवार ने NIA द्वारा इस मामले में हो रही गिरफ्तारियों के बाद हरकत में आने का मन बना लिया है.
बताया जा रहा है कि बैठक में यह मुद्दा भी उठाया गया कि क्या भीमा कोरेगांव मामले की समानांतर जांच महाराष्ट्र सरकार कर सकती है?
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार सत्ता में आते ही पवार ने भीमा कोरेगांव मामले की जांच SIT से कराने की मांग तेज की थी, लेकिन सीएम उद्धव ठाकरे ने जांच NIA को सौंप दी थी. जिसके बाद लगातार ये बात सामने आई कि NCP के विरोध के बावजूद भी उद्धव ठाकरे ने NIA को जांच सौंप दी. दरअसल इसके पीछे भी एक राजनीति मानी जा रही थी कि शिवसेना अपने वोटरों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती थी.
पुलिस ने दावा किया था कि सभा को माओवादियों का समर्थन हासिल था. उसने सुधीर धवले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, सोम सेन, अरुण परेरा समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिन्हें अभी तक जमानत नहीं मिल सकी है.
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Published: 13 Sep 2020,01:58 PM IST