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कृषि कानूनों पर पवार की चिट्ठी को लेकर सवाल, अब NCP ने दी सफाई

देश के कृषि मंत्री रहने के दौरान पवार ने मुख्यमंत्रियों को लिखी थी चिट्ठी

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देश के कृषि मंत्री रहने के दौरान पवार ने मुख्यमंत्रियों को लिखी थी चिट्ठी
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देश के कृषि मंत्री रहने के दौरान पवार ने मुख्यमंत्रियों को लिखी थी चिट्ठी
(फोटोः Twitter/@PawarSpeaks)

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कृषि कानूनों को लेकर राजनीतिक घमासान भी शुरू हो चुका है. किसानों के भारत बंद के ऐलान के बाद तमाम विपक्षी दलों ने इसका समर्थन किया, जिसमें शरद पवार की एनसीपी भी शामिल है. लेकिन एनसीपी के समर्थन के ठीक बाद से सोशल मीडिया पर बीजेपी समर्थकों ने एक लेटर वायरल करना शुरू कर दिया. ये लेटर उस वक्त का है जब पवार देश के कृषि मंत्री थे और उन्होंने कृषि कानून में बदलाव की बात कही थी. अब इसे लेकर एनसीपी की तरफ से सफाई सामने आई है.

राज्यों को मनाने का काम किया था

बीजेपी के तमाम नेता अब इस बात को उठा रहे हैं कि कांग्रेस सरकार और खुद शरद पवार ने भी मंडी एक्ट में बदलाव की बात कही थी, लेकिन अब बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. एनसीपी ने शरद पवार की इस चिट्ठी पर सफाई देते हुए कहा कि,

“वापजेपी सरकार ने एपीएमसी अधिनियम 2003 पेश किया था. उस वक्त कई राज्य सरकारों ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया था. बतौर कृषि मंत्री शरद पवार ने अधिनियम को लेकर सुझाव मांगे थे और राज्य कृषि बोर्डों के बीच व्यापक सहमति बनाने की कोशिश की थी. इसके बाद राज्य सरकारों को एपीएमसी अधिनियम से मिलने वाले फायदों के बारे में बताया गया और फिर कई राज्य सरकारों ने कहा कि वो इसे लागू करने के लिए तैयार हैं.”
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एनसीपी ने पवार की चिट्ठी को लेकर दी गई सफाई में ये भी कहा कि मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों से किसानों के मन में कई बातों को लेकर आशंका हैं. जिससे किसानों को असुरक्षा का भाव पैदा हुआ है. कुल मिलाकर सरकार इन कानूनों के फायदे बताने में असफल रही है.

बीजेपी का विपक्ष पर वार

बता दें कि बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मुद्दे का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि शरद पवार जब देश के कृषि और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे तो उन्होंने देश के सारे मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी. जिसमें उन्होंने लिखा था कि मंडी एक्ट में बदलाव जरूरी है, प्राइवेट सेक्टर का आना जरूरी है, किसानों को कहीं भी अपनी फसल बेचने का अवसर मिलना चाहिए. लेकिन अब बीजेपी को घेरने के लिए वो ऐसी बात कर रहे हैं.

इसके अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोगों को ये बताया कि विपक्षी दल भी कृषि कानूनों में वही बदलाव चाहते थे, जो आज बीजेपी ने किए हैं. लेकिन अब किसानों को भटकाने के लिए वो कुछ भी कर रहे हैं.

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