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गुजरात में भले जीती बीजेपी, लेकिन उसके लिए खतरे की घंटी : शिवसेना

गुजरात में बीजेपी की जद्दोजहद भरी जीत पर शिवसेना की तीखी टिप्पणी 

रौनक कुकड़े
पॉलिटिक्स
Updated:
मोदी युग शुरू होते ही शिवसेना-बीजेपी में तल्खियां बढ़ीं
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मोदी युग शुरू होते ही शिवसेना-बीजेपी में तल्खियां बढ़ीं
(फाइल फोटो: PTI)

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शिवसेना बीजेपी से अपनी तनातनी जाहिर करने का कोई मौका नहीं छोड़ती. बीजेपी को गुजरात में मिली 99 सीटों पर शिवसेना ने कहा, 'हम कहें वो कानून, कहने वालों के लिए ' चुनाव नतीजे खतरे की घंटी हैं. 2019 में गुजरात मॉडल वाला 'गुब्बारा' फूट सकता है.

इतनी सख्त क्यों शिवसेना?

मोदी-शाह युग की शुरुआत के साथ ही बीजेपी-शिवसेना के रिश्तों में तल्खियां काफी बढ़ गई हैं. गुजरात चुनाव के दौरान शिवसेना के बड़े नेताओं ने खुलकर राहुल गांधी की तारीफ की थी. शिवसेना ने नरेंद्र मोदी की ज्यादातर नीतियों का सरकार में रह कर विरोध किया था. अब मोदी-शाह की जोड़ी को निशाने पर लेना शिवसेना मुखपत्र में आम बात हो चली है.

दरअसल, शिसवेना नेताओं के मन में टीस इस बात को लेकर है कि मोदी-शाह अपनी 'हुकूमत' में लगातार अपने सहयोगियों को नजरअंदाज कर रहे हैं. शिवसेना को अब लग रहा है कि गुजरात चुनाव के ताजा नतीजों से मोदी-शाह की साख कम हुई है, और बीजेपी की घटती लोकप्रियता का फायदा महाराष्ट्र में शिवसेना को हो सकता है.

नतीजों के बाद फ्रंटफुट पर

2019 में आम चुनावों के बाद महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव होना है. इस राज्‍य में कभी शिवसेना 'बड़ा भाई' हुआ करती थी और बीजेपी 'छोटा भाई'. फिलहाल राज्य में बीजेपी की सरकार है. शिवसेना को लगता है कि बीजेपी की खामियों को सामने लाकर वो अपनी खोई हुई जमीन महाराष्ट्र में दोबारा हासिल कर सकती है.

केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सत्ता में शामिल होने के शिवसेना बैकफुट पर खेलने पर मजबूर थी. लेकिन गुजरात चुनाव के नतीजों ने अब इसे फ्रंटफुट पर खेलने का नया भरोसा तो दे ही दिया है.

शायद बीजेपी शिवसेना को बगैर भरोसे में लिए फैसले लेने से डरेगी. मसलन बीजेपी का प्लान था कि नारायण राणे को गुजरात चुनाव के बाद महाराष्ट्र कैबिनेट में शामिल करना लेकिन अब शायद शिवसेना के आक्रामक रुख को देखते हुए राणे की कैबिनेट में एंट्री दूर की कौड़ी लग रही है.

बीजेपी के 100 से नीचे पहुंचते ही खुश हो गए उद्धव

गुजरात चुनाव के दूसरे दौर का मतदान ख़त्म होने के बाद आए एग्जिट पोल में बीजेपी को 100 से ज्यादा सीटें मिलने का दावा किया गया था लेकिन नतीजों के दिन ऐसा नहीं हुआ. और बीजेपी का ग्राफ जैसे ही 100 के आंकड़े के नीचे पंहुचा तो सूत्रों की मानें तो उद्धव ठाकरे खासे उत्साहित दिखे. जैसे मानो उन्हें इस बात का अंदाजा पहले से ही हो. एग्जिट पोल के बाद भी उद्धव ठाकरे ने बयान दिया था की वे एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं करते.

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Published: 19 Dec 2017,05:39 PM IST

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