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सरकार गठन के लिए और समय नहीं देने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली शिवसेना इस याचिका का बुधवार को उल्लेख नहीं करेगी. पार्टी के वकील ने यह जानकारी दी.
शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये जरूरी समर्थन पत्र सौंपने के वास्ते तीन दिन का वक्त नहीं देने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
शिवसेना की ओर से शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस ने कहा कि पार्टी ने याचिका का उल्लेख ना करने का निर्णय लिया है. उन्होंने मंगलवार को कहा था कि
वकील ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को चुनौती देने वाली एक दूसरी याचिका तैयार की गई है लेकिन वह नई याचिका दायर कब की जाएगी इसकी उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी.
याचिका में पार्टी ने आरोप लगाया कि उसे सरकार बनाने के लिए सोमवार को आमंत्रित किया गया और उसने मंगलवार को भी दावा पेश करने की इच्छा जताई थी. शिवसेना ने याचिका में तर्क दिया कि राज्यपाल का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है.
याचिका में कहा गया कि 56 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी, शिवसेना का सरकार बनाने का दावा मानने से इनकार करने का राज्यपाल का फैसला, “स्पष्ट तौर पर मनमाना, असंवैधानिक और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.”
इसमें कहा गया है क शिवसेना को 10 नवंबर को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित किया गया था और याचिकाकर्ता ने 11 नवंबर को सरकार बनाने की अपनी इच्छा जाहिर की.
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी लेकिन 145 के बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई.
शिवसेना ने याचिका में गृह मंत्रालय, महाराष्ट्र सरकार और शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को प्रतिवादी बनाया है.
याचिका में कहा गया कि संवैधानिक परंपराओं और चलन के मुताबिक, सरकार गठन पर राजनीतिक दलों को उनकी बातचीत पूरी करने के लिए यथोचित समय देना राज्यपाल का कर्तव्य है और उन्हें “केंद्र सरकार के एजेंट या मुखपत्र” की तरह काम नहीं करना चाहिए. याचिका के अनुसार,
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मंगलवार को सिफारिश कर दी जबकि एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के शीर्ष नेता संख्या बल जुटाने और राज्य में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए कई दौर की चर्चाएं करते रहे.
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