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मुंबई में अब बीएमसी चुनावों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. शिवसेना अबकी बार सरकार में है, लेकिन बीजेपी के साथ नहीं बल्कि एनसीपी और कांग्रेस का हाथ थामकर सत्ता तक पहुंची है. इसीलिए अब बीजेपी के साथ नहीं होने के नुकसान का पहले ही इलाज खोजा जा रहा है. इस क्रम में अब शिवसेना ने गुजराती कार्ड चला है. मुंबई में गुजराती वोटर्स को लुभाने के लिए शिवसेना ने एक खास कैंपेन शुरू किया है. जिसमें ज्यादा से ज्यादा गुजरातियों को टारगेट किया जाएगा.
शिवसेना ने अपने इस कैंपेन की टैग लाइन भी दिलचस्प रखी है, जो- 'मुंबई मा जलेबी ने फाफड़ा, उद्धध ठाकरे आपडा' है. मुंबई में करीब 30 लाख गुजराती रहते हैं, इसीलिए बीएमसी की 227 सीटों में से करीब 50-52 सीटों पर गुजराती मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करतें हैं.
अब ये कवायद इसलिए जोर पकड़ रही है, क्योंकि माना जाता है कि गुजराती वोटर्स का ज्यादा झुकाव बीजेपी की ही तरफ होता है.
मुंबई में बीएमसी चुनावों को लेकर शिवसेना को सत्ता हाथ से जाने का डर सता रहा है. इसीलिए अब दूसरे समुदाय के वोटर्स पर फोकस है. अगर बाकी समुदायों ने शिवसेना को वोट दिया तो बीएमसी की सत्ता एक बार फिर उनके ही हाथ लग सकती है. लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो ये शिवसेना और उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका साबित होगा.
गुजराती वोटर्स के लिए चलाए गए कैंपेन के तहत 10 जनवरी को शिवसेना की तरफ से मुंबई में गुजराती समुदाय का एक महासम्मेलन आयोजित किया गया है. इसके अलावा शिवसेना ने अपने गुजराती विंग को एक्टिवेट कर दिया है और पार्टी के वरिष्ठ गुजराती नेताओं को अभी से भी शहर के सभी गुजराती बहुल इलाकों में जनसंपर्क अभियान शुरु करने के आदेश दे दिए गए हैं.
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