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दो सीटों से चुनाव लड़े कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया चामुंडेश्वरी से हार गए. इस सीट से उन्हें किसी औैर ने नहीं बल्कि उनके पुराने दोस्त जी टी देवगौड़ा ने हराया. कर्नाटक में छोटे देवगौड़ा के नाम से मशहूर जीटी जेडी (एस) के उम्मीदवार हैं. जीटी देवगौड़ा ने चांमुडेश्वरी सीट भारी अंतर से जीती है. उन्होंने 1,00,308 वोट हासिल किए जबकि सिद्धारमैया को सिर्फ 65,899 वोट मिले.
कभी सिद्धारमैया के पक्के दोस्त रहे देवगौड़ा मंत्री रह चुके हैं और हुनसुर और चामंडेश्वरी से तीन बार विधायक रहे हैं. 1970 के दशक में एग्रीकल्चर प्राइमरी को-ऑपरेटिव सोसाइटी के सेक्रेट्री के तौर पर उन्होंने अपना पॉलिटिकल कैरियर शुरू किया था.किसान समुदाय से ताल्लुक रखने वाले देवगौड़ा को पहली बार राजनीतिक पहचान 1978 के चुनावों में उस वक्त मिली जब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार कैंपे गौड़ा का समर्थन किया.
जल्द ही जीटी देवगौडा ने कांग्रेस को छोड़ दिया और जनता पार्टी ज्वाइन कर ली. 1983 के विधानसभा चुनाव में उनकी मुलाकात सिद्धारमैया से हुई. दोनों की दोस्ती दो दशक तक चली. लेकिन सिद्धारमैया से खटपट होने के बाद देवगौड़ा ने 2007 में बीजेपी ज्वाइन कर ली. लेकिन 2013 में जनता दल (एस) में शामिल हो गए और चामुंडेश्वरी सीट से जीत हासिल की.
सिद्धारमैया ने पहली बार 1983 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चामुंडेश्वरी सीट से जीत हासिल की थी. 1985 के चुनाव में वह यहां से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े. 1989 का चुनाव वह हार गए. लेकिन 1994 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत गए.1999 में जनता दल टूट गया और जनता दल (एस) बना. सिद्धारमैया उस साल चुनाव हार गए लेकिन 2004 में उन्हें जीत मिली.
2004 में कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा बनी. जनता दल (एस) और कांग्रेस का गठजोड़ हो गया. धरम सिंह सीएम बने और सिद्धारमैया डिप्टी सीएम. सिद्धारमैया जनता दल (एस) सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा से खुश नहीं थे क्योंकि उन्होंने उन्हें सीएम बनाने का वादा किया था. इसके बाद से ही सिद्धारमैया और देवगौड़ा के बीच एक साइलेंट वॉर छिड़ गई.
चामुंडेश्वरी में सिद्धारमैया की हार की बाद जनता दल (एस) ने कहा कि सिद्धारमैया ने अपना पॉलिटिकल करियर बनाने के बाद यहां के लोगों से मुंह मोड़ लिया है. उन्हें इसी की सजा मिली. इस बार सिद्धारमैया को यहां के लोगों ने माफ नहीं किया.
इनपुट - द न्यूज मिनट
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Published: 15 May 2018,04:59 PM IST