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केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष (Interim President of Congress) सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "लगभग 12 महीने के गांधीवादी आंदोलन के बाद आज देश के 62 करोड़ अन्नदाताओं-किसानों-खेत मजदूरों के संघर्ष व इच्छाशक्ति की जीत हुई. आज उन 700 से अधिक किसान परिवारों की कुर्बानी रंग लाई, जिनके परिवारजनों ने न्याय के इस संघर्ष में अपनी जान न्योछावर की. आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई.
सोनिया गांधी ने आगे कहा कि, पिछले सात सालों से बीजेपी सरकार ने लगातार खेती पर अलग-अलग तरीके से हमला बोला है. चाहे बीजेपी सरकार बनते ही किसान को दिए जाने वाले बोनस को बंद करने की बात हो, या फिर किसान की जमीन के उचित मुआवजा कानून को अध्यादेश लाकर समाप्त करने का षडयंत्र हो. चाहे प्रधानमंत्री के वादे के मुताबिक किसान को लागत+50% मुनाफा देने से इनकार कर देना हो, या फिर डीजल व कृषि उत्पाद की लागतों में भारी भरकम वृद्धि हो, या फिर तीन खेती विरोधी काले कानूनों का हमला हो.
सोनिया के बयान में आगे कहा गया कि, आज जब भारत सरकार के NSO के मुताबिक किसान की औसत आय ₹27 प्रतिदिन रह गई हो, और देश के किसान पर औसत कर्ज ₹74,000 हो, तो सरकार व हर व्यक्ति को दोबारा सोचने की जरूरत है कि खेती किस प्रकार से सही मायनों में मुनाफे का सौदा बने. किसान को उसकी फसल की सही कीमत यानि MSP कैसे मिले. उन्होंने कहा,
मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और बीजेपी सरकार अपना राजहठ और अहंकार छोड़कर किसान कल्याण की नीतियों को लागू करने की ओर ध्यान देंगे, MSP सुनिश्चित करेंगे व भविष्य में ऐसा कोई कदम उठाने से पहले राज्य सरकारों, किसान संगठनों और विपक्षी दलों की सहमति बनाई जाएगी.
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