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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के दूसरे चरण के मतदान के बाद राजनीतिक दलों ने तीसरे चरण के चुनावी प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. ऐसे में बिहार के कोसी क्षेत्र की सुपौल सीट पर भी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सुपौल (Supaul) के मध्य से गुजरने वाली कोसी की धारा की तरह यहां की सियासी धारा भी बदलती रही है. लेकिन, इस क्षेत्र से अब तक आरजेडी नहीं जीत सकी है. इस सीट में एक बार फिर निवर्तमान सांसद जेडीयू के दिलेश्वर कामत चुनावी मैदान में हैं, जिनका मुकाबला आरजेडी के चंद्रहास चौपाल से है.
पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे दिलेश्वर ने रंजीत रंजन को कड़ी शिकस्त दी थी. इस बार दिलेश्वर कामत बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी (आर) सहित अन्य दो दलों के एनडीए के उम्मीदवार हैं, इसलिए चुनावी चौसर का हिसाब-किताब लगाने वाले इस बार भी उनका पलड़ा भारी मानते हैं.
सुपौल से पहली बार आरजेडी चुनाव मैदान में है. दलित समुदाय से आने वाले सिंघेश्वर क्षेत्र के विधायक चंद्रहास चौपाल को मुकाबले में उतारकर आरजेडी ने यहां की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. हालांकि जातीय समीकरण के इन आंकड़ों में जोड़-तोड़ की पूरी गुंजाइश है. कहा जा रहा है आरजेडी ने दलित चेहरे को प्रत्याशी उतारकर नई सियासी चाल चली है.
छह विधानसभा क्षेत्र वाले सुपौल में मतदाताओं की संख्या करीब 19 लाख के करीब है.
इस चुनाव में सबसे बड़ा सवाल यह है कि एनडीए गठबंधन की ओर से जेडीयू प्रत्याशी दिलेश्वर कामत दूसरी बार जीत का परचम लहरायेंगे या फिर इंडिया गठबंधन की ओर से आरजेडी प्रत्याशी चंद्रहास चौपाल पहली बार सुपौल लोकसभा क्षेत्र में लालटेन को रोशन कर पायेंगे.
वैसे, निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व आईआरएस अधिकारी बैद्यनाथ मेहता त्रिकोणीय संघर्ष बनाने में जुटे हुए हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मंच के राष्ट्रीय महासचिव रहे बैद्यनाथ मेहता को जातीय वोट बैंक पर भरोसा है, वहीं जेडीयू को नरेंद्र मोदी के चेहरे पर गुमान है.
बहरहाल, मतदाता प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ सहित अन्य समस्याओं को लेकर राजनीतिक दलों पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. माना जा रहा है कि एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला है. सुपौल में तीसरे चरण के तहत सात मई को मतदान होना है.
(इनपुट-IANS)
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