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कर्नाटकः येदियुरप्पा ऑडियो मामले की सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट

कर्नाटक कांग्रेस का येदियुरप्पा की ऑडियो क्लिप लेने का अनुरोध  

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा
(फोटोः PTI)

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा से जुड़े एक ऑडियो क्लिप के मामले की सुनवाई पर सहमति दे दी है. इस ऑडियो क्लिप में येदियुरप्पा कथित तौर पर राज्य के कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन सरकार के बागी विधायकों का समर्थन करते सुने जा रहे हैं.

इन बागी विधायकों के इस्तीफे की वजह से राज्य की एचडी कुमारस्वामी सरकार कुछ महीने पहले गिर गई थी. कांग्रेस की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले को न्यायमूर्ति एन.वी.रमना के समक्ष पेश किया, जिस पर न्यायमूर्ति रमना ने मंगलवार को सुनवाई करने की बात कही.

ऑडियो क्लिप में क्या है?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा का कथित ऑडियो क्लिप सामने आया है, जिसमें वह पार्टी के उन नेताओं के प्रति नाराजगी जता रहे थे, जो अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को पांच दिसंबर को 15 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव के लिए टिकट देने का विरोध कर रहे थे. यह क्लिप हुबली में पार्टी की बैठक की है.

इस ऑडियो में वह कथित तौर पर कह रहे हैं कि बागी विधायकों को गठबंधन सरकार के अंतिम दिनों में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की निगरानी में मुंबई में रखा गया था.

कथित तौर पर येदियुरप्पा ने ऑडियो क्लिप में बीजेपी सरकार को बचाने में समर्थन नहीं देने और पार्टी के सत्ता में आने के पीछे उनका बलिदान नहीं देखने के लिए पार्टी के नेताओं को खरी खोटी सुनाई थी.

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कांग्रेस का आरोप?

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ऑडियो में येदियुरप्पा ने एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार को गिराने की बात कबूली है.

कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने निवेदन किया कि ऑडियो क्लिप को कर्नाटक के 17 विधायकों द्वारा विधानसभा में अपनी अयोग्यता को चुनौती दिए जाने वाली याचिका के साथ रिकॉर्ड में लिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों की याचिका पर अपने आदेश को सुरक्षित रखा है.

सिब्बल ने हवाला दिया कि यह उनके तर्क का समर्थन करता है कि 17 विधायकों ने अपने संबंधित पार्टियों से दलबदल कर बीजेपी को गले लगाया.

जुलाई में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने इन विधायकों के इस्तीफे को अस्वीकार करते हुए उन्हें अयोग्य करार दे दिया था. ये विधायक सदन से 23 जुलाई को गैरहाजिर रहे, जब मुख्यमंत्री कुमास्वामी विश्वास मत प्रस्ताव का सामना कर रहे थे.

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