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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है. कोर्ट ने केंद्र के 2016 के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. हालांकि, पांच जजों की बेंच में एक जज ने नोटबंदी के फैसले पर असहमति जताई है. कांग्रेस ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फैसले में इसपर कुछ नहीं कहा गया कि नोटबंदी से उसके उद्देश्य पूरे हुए या नहीं.
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि इसपर ध्यान देना जरूरी है कि बहुमत ने फैसले को बरकरार नहीं रखा है; न ही बहुमत ने ये निष्कर्ष निकाला है कि घोषित उद्देश्यों को प्राप्त किया गया था. वास्तव में, अधिकांश लोगों ने इस प्रश्न से दूरी बना ली है कि क्या उद्देश्यों को प्राप्त किया गया था.
कांग्रेस सचिव जयराम रमेश ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने केवल ये कहा है कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा से पहले RBI अधिनियम, 1934 की धारा 26(2) को सही तरीके से लागू किया गया था या नहीं. इससे न एक शब्द ज्यादा, न एक कम. एक जज ने अपनी असहमतिपूर्ण राय में कहा है कि संसद को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए था."
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने असहमति जताने वाले जज की तारीफ करते हुए लिखा, "सच बोलने के लिए जज बीवी नागरत्ना के लिए बहुत सम्मान है."
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव बीएल संतोष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश को अस्थिर करने और पीएम द्वारा घोषित विकास की गति को रोकने के लिए लगी हुई सभी ताकतों के मुंह पर एक तमाचा है.
केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ याचिकाओं में दावा किया गया है कि नोटबंदी के लिए आवश्यक उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और मनमाने तरीके से फैसला लिया गया था.
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