advertisement
आरक्षण पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत के ताजा बयान से फिर घमासान मच गया है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरेजवाला ने कहा है कि रिजर्वेशन पर संघ प्रमुख के बयान से बीजेपी और संघ का दलित-पिछड़ा चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया है. गरीबों का आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने की उनकी अगली नीति बेनकाब हो गई है.
संघ प्रमुख ने संगठन के एक कार्यक्रम में आरक्षण के पक्ष में सौहार्दपूर्ण माहौल में चर्चा की अपील की थी. संघ के कार्यक्रम 'ज्ञान उत्सव' में उन्होंने कहा कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए. भागवत ने कहा कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बात की थी लेकिन इससे काफी हंगामा मचा और पूरी चर्चा वास्तविक मुद्दे से भटक गई.
भागवत ने कहा कि आरएसएस, बीजेपी और पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार तीन अलग-अलग इकाइयां हैं और किसी को दूसरे के कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. नरेंद्र मोदी सरकार पर आरएसएस के प्रभाव की धारणा के बारे में बात करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘चूंकि बीजेपी और इस सरकार में संघ कार्यकर्ता हैं, वे आरएसएस को सुनेंगे, लेकिन उनके लिए हमारे साथ सहमत होना जरूरी नहीं है. वे असहमत भी हो सकते हैं.'’
संघ प्रमुख ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भी आरक्षण नीति की वकालत की थी. इस पर राजनीतिक हलको में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी. माना गया था बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार की एक बड़ी वजह आरक्षण पर भागवत का बयान भी था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 19 Aug 2019,11:53 AM IST