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ताजमहल पर छिड़ी जंग में अब हथियार डालने का समय काफी करीब लगता है. बीजेपी विधायक संगीत सोम के गैरजरूरी बयानों के ठीक एक दिन बाद अगर पीएम, सीएम और यूपी के राज्यपाल एक सुर में संगीत के 'सुर' को दरकिनार करने लगें तो राजनीति की ताल पहचानना मुश्किल नहीं.
पीएम नरेन्द्र मोदी दिल्ली में पहले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का उद्घाटन कर रहे थे. इस मौके पर उन्होंने जो कुछ कहा, उसके बाद किसी बीजेपी नेता की तरफ से ताजमहल को लेकर विवादित बयान आने के आसार कम ही दिखते हैं. पीएम ने कहा, "कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता अगर वो ये भूल जाए कि अपनी धरोहरों पर गर्व कैसे किया जाता है." बात भले आयुर्वेद के संदर्भ में कही गई लगती हो लेकिन ताजमहल पर बयानों की जो तलवारें निकली हैं उन्हें म्यान में वापस भेजने के लिए काफी है. वैसे भी प्रधानमंत्री अक्सर इशारों-इशारों में अपनी बात कह जाते हैं और वो जिन लोगों के लिए होती है, वहां तक पहुंच भी जाती हैं.
इससे पहले योगी आदित्यनाथ भी डैमेज कंट्रोल के मूड में आ गए हैं. योगी ने कहा:
वो यहीं नहीं रुके. योगी आदित्यनाथ ने बताया कि वो 26 अक्तूबर को आगरा जा रहे हैं और आगरा के लिए बाकायदा एक बड़ी योजना बनाई गई है ताकि पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके. योगी ने कहा, "ताज का संरक्षण-संवर्धन, पर्यटन को बढ़ावा देना यूपी सरकार की जिम्मेदारी है. आगरा के लिए सरकार ने 370 करोड़ की योजना बनाई है जिसमें यमुना पर रिवर फ्रंट, रबर डैम, आगरा फोर्ट और ताज के बीच रास्ते का निर्माण शामिल हैं."
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया है कि सफेद ताज पर काली सियासत का दाग गहरा नहीं होने दिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने भी ताज के मुद्दे पर बयान दिया है. नाइक ने कहा, "ताजमहल दुनिया के अजूबों में से एक है. इसे किसी विवाद में खींचना सही नहीं है."
संगीत सोम मेरठ के सरधना से बीजेपी विधायक हैं. उत्तर प्रदेश में विवादों की सियासत में उनके रोल को नजरअंदाज करना मुश्किल है. सोमवार को संगीत सोम ने एक कार्यक्रम में कह दिया, "ताजमहल को गद्दारों ने बनवाया था, उसका नाम इतिहास में नहीं होना चाहिए. ताजमहल, भारत की संस्कृति पर धब्बा है. हम इतिहास बदल कर रहेंगे.”
मुजफ्फरनगर के दंगे हों या चुनाव के दौरान भड़काऊ बयानों के आरोप, उत्तर प्रदेश की सियासत में संगीत सोम वो नाम है जो ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए जाना जाता है.
वैसे सच पूछा जाए तो ताजमहल पर सारा विवाद 15 जून को उस वक्त शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में कह दिया कि ताजमहल भारतीय संस्कृति का आईना नहीं है. विदेशी मेहमानों को ताज की रेप्लिका की जगह, तोहफे में गीता और रामायण देनी चाहिए."
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करीब 4 महीने बाद उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की बुकलेट से ताजमहल को ही गायब कर दिया गया. ये 'जादू' सियासत में दखल रखने वालों से लेकर आम घुमक्कड़ों को काफी नागवार गुजरा. विरोध के सुर तेज हुए तो पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी समेत कई मंत्री और नेता बचाव में उतर आए. रीता ने कहा कि ‘’ताजमहल हमारी सांस्कृतिक विरासत है और विश्व विख्यात पर्यटन स्थलों में से एक है. पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर ताजमहल सबसे ऊपर दिखता है."
ये विवाद योगी आदित्यनाथ से ही शुरू हुआ था और अब योगी ही इसे खत्म करना चाहते हैं
दुनिया भर से जब लोग घूमने के लिए हिंदुस्तान आते हैं तो ताजमहल उनकी लिस्ट में अक्सर अव्वल होता है. हर साल 70 से 80 लाख टूरिस्ट ताज घूमने आते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुताबिक, मौजूदा साल में जनवरी से अगस्त महीने के बीच करीब 42 लाख पर्यटक ताजमहल देखने पहुंचे थे. इसमें लगभग 5 लाख विदेशी टूरिस्ट भी शामिल हैं. कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टूर प्रोफेशनल्स के अध्यक्ष सुभाष गोयल ने बताया, “देश में आने वाले 70 फीसदी टूरिस्ट के जेहन में ताजमहल ही होता है. अगर ताज को नजरअंदाज किया तो टूरिज्म चौपट हो जाएगा.” हर साल ताज की महज टिकट बिक्री से कमाई 20 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाती है. ताजमहल पर पूरे आगरा और काफी हद तक प्रदेश की टूरिज्म इकनॉमी टिकी हुई है.
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Published: 17 Oct 2017,08:17 PM IST