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तमिलनाडु की राजनीति में कुछ नया हो रहा है? विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के साथ ही पलनीसामी तमिलनाडु के सीएम पद पर काबिज हो गए हैं. लेकिन, विपक्षी पार्टी डीएमके ने असेंबली में मारपीट का आरोप लगाकर मरीना बीच पर प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है.
पहली नजर में तमिलानाडु का राजनीतिक घटनाक्रम नया-नया सा लगता है .लेकिन अगर इतिहास के पन्ने पलटकर देखें तो तमिलनाडु की राजनीति में ठीक-ठीक वही सब कुछ हो रहा है जो आज से 30 साल पहले हुआ था.
एआईएडीएमके में दो नेताओं के बीच सत्ता संघर्ष जारी है. लेकिन ठीक यही संघर्ष 30 साल पहले भी हुआ था और इस संघर्ष से जे. जयललिता जैसी लोकप्रिय नेता सामने आई थीं.
दिसंबर, 1987 में एमजीआर के निधन के साथ ही उत्तराधिकार की जंग और तेज हो गई.
पलनीसामी के विश्वासमत जीतने के बाद डीएमके में असेंबली में अव्यवस्था फैलने का हवाला दिया. डीएमके नेता एमके स्टालिन ने मरीना बीच पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस बार की लड़ाई में भी एक्शन रिप्ले होने वाला है?
खबरों के मुताबिक, राज्य के गवर्नर सी विद्यासागर राव ने पन्नीरसेल्वम को इतना वक्त दिया था कि वे चिन्नम्मा के खिलाफ मोर्चा खोल सकें.
लेकिन शशिकला के जेल जाने और पलनीसामी को विधायकों के बहुमत हासिल होने के बाद स्थिति बदली हुई नजर आ रही है. लेकिन, अगर ध्यान से देखें तो सिर्फ किरदार बदल रहे हैं और घटनाएं कमोवेश एक जैसी ही हो रही हैं.
तमिलनाडु की वर्तमान स्थितियों को देखने पर असेंबली में अव्यवस्था फैलने के संकेत मिलते हैं. 30 साल पहले हुई उत्तराधिकार हासिल करने की जंग में जयललिता को दिल्ली का समर्थन मिला था. इसके बाद जे. जयललिता जैसी पॉपुलर नेता सामने आईं थीं.
ऐसे में सवाल ये है कि इस बार चेन्नई में जारी इस जंग से कौन नेता विजेता बनकर बाहर निकलेगा?
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Published: 18 Feb 2017,05:45 PM IST