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पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर जुबानी जंग तेज हो चुकी है. केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी को निकलने वाली झांकियों में पश्चिम बंगाल को शामिल नहीं करने का फैसला किया है. केंद्र ने ममता सरकार के उस प्रपोजल को ठुकरा दिया जिसमें गणतंत्र दिवस के मौके पर झांकी निकालने की अपील की गई थी. रक्षा मंत्रालय की तरफ से इस प्रपोजल को रिजेक्ट किया गया.
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद अब राजनीति भी तेज हो चुकी है. पश्चिम बंगाल में रूलिंग पार्टी टीएमसी का कहना है कि मोदी सरकार ने ऐसा करके बंगाल के लोगों का अपमान किया है. उनका कहना है कि बंगाल में लगातार नागरिकता कानून का विरोध हुआ, इसलिए ऐसा किया गया. वहीं बीजेपी का कहना है कि राज्य सरकार ने अपना प्रपोजल भेजने से पहले जरूरी नियमों का पालन नहीं किया.
पश्चिम बंगाल के मंत्री तपस रॉय ने कहा है कि केंद्र सरकार बदला लेने की भावना से काम कर रही है. उन्होंने कहा,
तपस रॉय ने कहा कि बंगाल के साथ ऐसा पहली बार नहीं किया गया है. ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है. उन्होंने कहा कि इस तरह की गंदी राजनीति कर बीजेपी बंगाल की जनता का अपमान कर रही है, जिसका जवाब जल्द ही उन्हें मिल जाएगा.
26 जनवरी की झांकियों के प्रस्ताव के चयन के लिए केंद्र के अपने नियम हैं. उनके मुताबिक रक्षा मंत्रालय सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों से प्रस्ताव मांगता है. इन प्रस्तावों पर एक एक्सपर्ट कमेटी विचार करती है. कमेटी में कला, संस्कृति, पेंटिंग, मूर्ति कला, संगीत, आर्किटेक्चर और कोरियोग्राफी से जुड़ी हस्तियां होती हैं.
इन प्रस्तावों को झांकी में शामिल करने सिफारिश इनकी थीम, कॉन्सेप्ट, डिजाइन और विजुअल इम्पैक्ट के आधार पर की जाती है. मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि वक्त की कमी की वजह से सीमित संख्या में झांकियों के प्रस्ताव मंजूर किए गए.
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Published: 02 Jan 2020,04:32 PM IST