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लोकसभा: जेडीयू ने तीन तलाक बिल का किया विरोध, ये हैं अलग-अलग तर्क

बीजेपी ने तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को बैन करने वाले बिल को महिलाओं के लिए न्याय देने लिए उठाया गया कदम बताया.

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लोकसभा: जेडीयू ने तीन तलाक बिल का किया विरोध, ये है अलग-अलग तर्क
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लोकसभा: जेडीयू ने तीन तलाक बिल का किया विरोध, ये है अलग-अलग तर्क
(फोटो: द क्विंट)

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बीजेपी ने तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को बैन करने वाले बिल को महिलाओं के लिए न्याय देने लिए उठाया गया कदम बताया. लोकसभा में बीजेपी ने कहा कि नरेंद्र मोदी इसके जरिए प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाते हुए मुस्लिम महिलाओं हक उनका दे रहे हैं जो राजीव गांधी ने 1980 के दशक में नहीं किया था. वहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टी JDU ने लोकसभा में तीन तलाक बिल का विरोध किया है. पार्टी सांसद राजीव रंजन ने कहा, ''ये बिल एक समुदाय विशेष में अविश्वास पैदा करेगा. हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन नहीं करेगी.''

जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि जेडीयू जो पुराना स्टैंड है पार्टी उसी पर कायम है. मौजूदा फॉर्मेट में इस बिल का पार्टी विरोध करती है.

मीनाक्षी लेखी का बिल के समर्थन में तर्क

लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ पर चर्चा शुरुआत करते हुए बीजेपी की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि विपक्ष के लोगों को ये बात हजम नहीं हो पा रही है कि नरेंद्र मोदी जैसे हिंदू मुस्लिम महिलाओं के ‘भाई’ कैसे बन गए. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री हैं और वो अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. लेखी ने कहा कि राजीव गांधी 1980 के दशक में शाह बानो के समय इस जिम्मेदारी को निभा सकते थे, लेकिन उन्होंने नहीं किया. उन्होंने कहा कि हिंदू कोड बिल के समय भी इसी तरह का विरोध हुआ था और इसी तरह के तर्क दिए गए थे जो अब दिए जा रहे हैं.

लेखी ने कहा कि हिंदू महिलाओं को न्याय उसी हिंदू कोड बिल के कारण संभव हुआ. उन्होंने कहा कि ये कहना बिल्कुल उचित नहीं है कि दैवीय कानून को नहीं बदला जा सकता.

दुनिया के 20 देशों में तीन तलाक पर रोक लगी है: बीजेपी

लेखी ने कहा कि इस देश का एक ही धर्म है और वो है भारत का संविधान. धर्म घर के भीतर होता है. घर के बाहर संविधान लागू होता है. बीजेपी सांसद ने कहा कि दुनिया के 20 से अधिक मुस्लिम देशों में तलाक-ए-बिद्दत पर रोक लगी है. ऐसे में धर्मनिरपेक्ष भारत में इस पर रोक क्यों नहीं लगनी चाहिए? उन्होंने कहा कि इस देश में महिलाएं सबसे बड़ी अल्पसंख्यक हैं और उन्हें न्याय मिलना चाहिए. लेखी ने कहा कि यह तर्क दिया जा रहा है कि मुस्लिम समाज खुद फैसला करेगा. क्या वो लोग फैसला करेंगे जो महिलाओं की पीड़ा के लिए जिम्मेदार हैं? क्या पहले यह कहा जाता कि महिलाएं सती हो रही हैं तो होने दीजिए? ऐसा नहीं होता है. समस्याओं को खत्म करने के लिए कानून बनाना पड़ता है.

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