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BJP को त्रिपुरा में सता रहा है बगावत का डर?, TMC मार सकती है सेंध

तृणमूल कांग्रेस त्रिपुरा बीजेपी के बागी नेताओं को तोड़ने की कोशिश में

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
Updated:
<div class="paragraphs"><p>तृणमूल कांग्रेस त्रिपुरा बीजेपी के बागी नेताओं को तोड़ने की कोशिश में</p></div>
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तृणमूल कांग्रेस त्रिपुरा बीजेपी के बागी नेताओं को तोड़ने की कोशिश में

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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BJP के केंद्रीय नेता पहुंचे त्रिपुरा

त्रिपुरा बीजेपी के नेताओं के पार्टी छोड़ने की खबरों के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष और पूर्वोत्तर के महासचिव अजय जामवाल राजधानी अगरतला पहुंचे हैं. 16 जून को दोनों ने त्रिपुरा की राजधानी पहुंचकर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों से मुलाकात की.

चुनावी तैयारियों के लिए दौरा: BJP

बीजेपी ने दावा किया कि पार्टी के नेता आने वाले त्रिपुरा विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में गए थे. 2 साल बाद त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव होना है. बीजेपी ने ये भी कहा कि टीएमसी की मंशा कभी सफल नहीं होगी. बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे को समझा है और उचित कदम उठाए हैं.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मानिक साका का कहना है कि 'सब कुछ ठीक है, कोई दिक्कत नहीं है.' पार्टी ने कहा है कि टीएमसी जो सोच रही वो करने में कभी सफल नहीं होगी, क्यों कि जिन नेताओं को दिक्कत थी उनका समाधान कर दिया गया है. साका ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व सहयोगी दल IPFT के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे.

मुकुल रॉय त्रिपुरा में बड़े खिलाड़ी

मुकुल रॉय ही वो नेता थे जिन्होंने 2016 में 6 कांग्रेसी नेताओं को टीएमसी में लाया था, तब कांग्रेस ने त्रिपुरा ने लेफ्ट के साथ गठबंधन कर लिया था. इसके बाद मुकुल रॉय ही इन 6 विधायकों को बीजेपी लेकर गए थे.

पश्चिम बंगाल चुनाव फिर से जीतने के बाद टीएमसी ने ऐलान किया है कि वो बीजेपी को चुनौती देने के लिए अपनी पार्टी का विस्तार दूसरे प्रदेशों में करेगी.

सीएम बिप्लब देब से नाराज कई विधायक

बता दें कि त्रिपुरा बीजेपी के कुछ विधायक मुख्यमंत्री बिप्लब देब से नाराज थे और इसके बाद ये विधायक बीते साल अक्टूबर में दिल्ली आए थे. विधायकों ने तब राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीएल संतोष से मुलाकात की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विधायकों की मांग थी कि मुख्यमंत्री को हटाया जाए.

इन नाराज विधायकों में ज्यादातर नेता कांग्रेस या टीएमसी में रह चुके हैं और 2018 में ही बीजेपी से जुड़े थे. तो साफ है कि पार्टी, विचारधारा, सिद्धांत वगैरह इन विधायकों के लिए बड़ा मुद्दा नहीं हैं. दूसरी पार्टी के लिए इन्हें तोड़ना आसान भी है.

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2018 में बीजेपी ने ऐसे रचा था इतिहास

2018 में बीजेपी ने त्रिपुरा में वामपंथी किले को गिराकर पहली बार सत्ता हासिल की थी. इसके पहले वाम सरकार ने लगातार 25 साल तक त्रिपुरा पर राज किया था. 2013 में बीजेपी को त्रिपुरा चुनाव में 1.5% ही वोट मिले थे और ज्यादातर बीजेपी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.

लेकिन 2018 के चुनाव में बीजेपी ने चमत्कार करते हुए 42% से ज्यादा वोट लाकर दो-तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाई थी. बीजेपी ने पार्टी पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के साथ मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ा था.

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Published: 17 Jun 2021,12:12 PM IST

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