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कर्नाटक विधानसभा में तत्काल विश्वास-मत की मांग करते हुए प्रदेश के दो निर्दलीय विधायक सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे. याचिकाकर्ता आर. शंकर और एच. नागेश ने अदालत को बताया कि उन्होंने कांग्रेस-जनता दल (सेक्यूलर) गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. कर्नाटक में एच. डी. कुमारस्वामी सरकार को गिराने के प्रयास में कांग्रेस और जेडी-एस के कई विधायकों के विधानसभा से इस्तीफा देने या भारतीय जनता पार्टी दामन थामने से राजनीतिक संकट बना हुआ है.
मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए 17 जुलाई को अदालत की ओर से दिए गए आदेश के संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की है. शीर्ष अदालत के 17 जुलाई के आदेश में प्रदेश के 15 बागी विधायकों को सदन से बाहर रहने का विकल्प अपनाने की अनुमति प्रदान की गई है. कुमारस्वामी ने अदालत को बताया कि विश्वास मत का आयोजन करने को लेकर राज्यपाल हस्तक्षेप कर रहे हैं.
राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर से गुरुवार को कुमारस्वामी को बहुमत साबित करने के लिए समय-सीमा दिए जाने के बावजूद शुक्रवार को कर्नाटक विधानसभा को सोमवार के लिए स्थगित कर दिया गया.
दूसरी ओर, बीजेपी नेता बी एस येदियुरप्पा ने कहा कि सोमवार को गठबंधन सरकार का आखिरी दिन होगा.इधर, मुंबई में मौजूद बागी विधायकों ने कहा, ''हम यहां सिर्फ गठबंधन (कांग्रेस-जेडीएस) सरकार को सबक सिखाने के लिए आए हैं. इसके अलावा कोई दूसरा मकसद नहीं है.हम यहां पैसे या किसी दूसरी चीज के लालच में नहीं आए.एक बार सबकुछ ठीक हो जाए, बेंगलुरु लौट जाएंगे.''
इधर,राज्य के बसपा के इकलौते विधायक एन महेश को पार्टी प्रमुख मायावती ने कुमारस्वामी के पक्ष में समर्थन करने के निर्देश दिए।. इससे पहले एन महेश ने कहा था कि वह फ्लोर टेस्ट के दौरान तटस्थ रहेंगे. हालांकि, विश्वास मत प्रस्ताव पर बहस के दौरान भी बसपा विधायक सदन में गैर हाजिर थे.
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