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''महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में दरार''
''महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन में कलह''
पिछले कई महीनों की तरह इस बार भी इन सुर्खियों ने जिस जोश से सिर उठाया था, उसी तेजी से दुबक गईं. सवाल है कि फिर उद्धव (Uddhav Thackeray) से लेकर नाना पटोले और प्रताप सरनाइक के बयानों का मतलब क्या निकाला जाए?
पहले ये देख लीजिए महाराष्ट्र में हाल फिलहाल क्या-क्या हुआ
इन घटनाओं का मतलब ये निकाला गया महाराष्ट्र में सियासी उठापठक हो सकती है. शिवसेना का मौजूदा साथियों से अलगाव हो सकता है. लेकिन फिर तेजी से चीजें बदलीं.
पता चला कि शरद पवार दिल्ली में बीजेपी से नहीं, विपक्षी नेताओं और बुद्धिजीवियों से मिलेंगे. संजय राउत ने कहा कि एमवीए सरकार पांच साल चलेगी.
नाना पटोले बोले कि उनकी पार्टी की तरफ से एमवीए सरकार को पांच साल कोई दिक्कत नहीं होगी, हालांकि चुनाव हम अलग लड़ेंगे. सवाल है सहयोगी दलों में सब राजी खुशी ही था तो बयानों के ये तीर क्यों?
अलग विधानसभा चुनाव लड़ने की बातें क्यों जबकि उसके होने में अभी काफी समय बचा है. दरअसल ये गठबंधन धर्म और सियासत के मर्म का अंतरविरोध हो सकता है
वरिष्ठ पत्रकार अभय देशपांडे का मानना है कि नेताओं की बयानबाजी आनेवाले BMC चुनावों में जोर आजमाइश की कोशिश है.
गौर करने वाली बात है कि अलग चुनाव लड़ने की बात नाना पटोले ने कही है कि महाराष्ट्र के ज्यादा कद्दावर कांग्रेस नेताओं ने नहीं. जाहिर है कोशिश बात बिगड़ी तो सीनियर आकर मामला संभाल सकते हैं.
राजनैतिक विश्लेषक प्रकाश बाल के मुताबिक,
तो मामला इतना हो सकता है कि एक साथ भी चलना है और अलग अस्तित्व भी बचाए रखना है.
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