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महाराष्ट्र:जब सेफ है MVA सरकार तो क्यों शिवसेना-कांग्रेस में तकरार

उद्धव (Uddhav Thackeray) से लेकर नाना पटोले और प्रताप सरनाइक के बयानों का मतलब क्या निकाला जाए?

ऋत्विक भालेकर
पॉलिटिक्स
Published:
महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार, लेकिन जारी है तकरार
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महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार, लेकिन जारी है तकरार
(फोटो : क्विंट हिंदी)

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''महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में दरार''

''महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन में कलह''

पिछले कई महीनों की तरह इस बार भी इन सुर्खियों ने जिस जोश से सिर उठाया था, उसी तेजी से दुबक गईं. सवाल है कि फिर उद्धव (Uddhav Thackeray) से लेकर नाना पटोले और प्रताप सरनाइक के बयानों का मतलब क्या निकाला जाए?

पहले ये देख लीजिए महाराष्ट्र में हाल फिलहाल क्या-क्या हुआ

  • कांग्रेस के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने चुनावों में 'एकला चलो रे' की बात की.
  • उद्धव ठाकरे ने कहा कि अकेले लड़ने वालों को महाराष्ट्र के लोग जूते मारेंगे
  • अगले दिन शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक ने उद्धव को लिखी एक चिट्ठी में कहा कि शिवसेना को फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन में जाना चाहिए.
  • उद्धव राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिले
  • उद्धव कुछ दिन पहले दिल्ली में पीएम से मिले.
  • शरद पवार दिल्ली रवाना

इन घटनाओं का मतलब ये निकाला गया महाराष्ट्र में सियासी उठापठक हो सकती है. शिवसेना का मौजूदा साथियों से अलगाव हो सकता है. लेकिन फिर तेजी से चीजें बदलीं.

पता चला कि शरद पवार दिल्ली में बीजेपी से नहीं, विपक्षी नेताओं और बुद्धिजीवियों से मिलेंगे. संजय राउत ने कहा कि एमवीए सरकार पांच साल चलेगी.

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नाना पटोले बोले कि उनकी पार्टी की तरफ से एमवीए सरकार को पांच साल कोई दिक्कत नहीं होगी, हालांकि चुनाव हम अलग लड़ेंगे. सवाल है सहयोगी दलों में सब राजी खुशी ही था तो बयानों के ये तीर क्यों?

अलग विधानसभा चुनाव लड़ने की बातें क्यों जबकि उसके होने में अभी काफी समय बचा है. दरअसल ये गठबंधन धर्म और सियासत के मर्म का अंतरविरोध हो सकता है

वरिष्ठ पत्रकार अभय देशपांडे का मानना है कि नेताओं की बयानबाजी आनेवाले BMC चुनावों में जोर आजमाइश की कोशिश है.

मोदी के बाद राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से मुलाकात कर उद्धव ने दूसरा विकल्प तैयार होने के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं, ताकि शिवसेना पर चुनावों में सीट के बंटवारे को लेकर कोई दबाव ना बना सके. साथ ही कांग्रेस सरकार में अपना महत्व बढ़ाने की कोशिशों में लगी है. दोनों की नोक झोंक के बीच एनसीपी ग्रामीण महाराष्ट्र में फिर से पैर जमाने का काम कर रही है.

गौर करने वाली बात है कि अलग चुनाव लड़ने की बात नाना पटोले ने कही है कि महाराष्ट्र के ज्यादा कद्दावर कांग्रेस नेताओं ने नहीं. जाहिर है कोशिश बात बिगड़ी तो सीनियर आकर मामला संभाल सकते हैं.

राजनैतिक विश्लेषक प्रकाश बाल के मुताबिक,

“भले ही शिवसेना के बीजेपी के साथ जाने की चर्चा हो रही है लेकिन उद्धव इतनी जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे. बीजेपी-सेना की सरकार में भी ऐसी नोक झोंक होती रहती थी. लेकिन गठबंधन सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था. दबाव की राजनीति से अपनी बार्गेनिंग पावर बढ़ाना ये कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना-बीजेपी सरकारों में पहले से चलते आ रहा है.”

तो मामला इतना हो सकता है कि एक साथ भी चलना है और अलग अस्तित्व भी बचाए रखना है.

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