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महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे 21 फरवरी को पहली बार दिल्ली आए. यहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद सीएए और एनपीआर पर अपना रुख साफ कर दिया. अब शिवसेना पूरी तरह से सीएए और एनपीआर के पक्ष में दिख रही है.
पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, बीजेपी के सीनियर नेता लाल कृष्ण आडवाणी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की. उद्धव के साथ उनके बेटे आदित्य ठाकरे और शिवसेना नेता संजय राउत भी मौजूद थे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उद्धव ठाकरे की सोनिया गांधी से महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार के कामकाज के साथ ही CAA-NRC के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार के गठन के बाद सोनिया से उनकी पहली मीटिंग थी, जो करीब आधा घंटा चली.
महाराष्ट्र में सीएए-एनपीआर पर ठाकरे का रुख कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन के बीच टकराव की स्थिति पैदा करता नजर आ रहा है. क्योंकि शिवसेना अब पूरी तरह से सीएए और एनपीआर के समर्थन में दिख रही है, जबकि गठबंधन में उसकी सहयोगी पार्टियां कांग्रेस और एनसीपी इसके पूरी तरह से धुर विरोधी हैं.
पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा, "प्रधानमंत्री जी से CAA, NRC, NPR पर बात हुई. मैंने अपनी भूमिका स्पष्ट की है. उन्होंने मुझे आश्वस्त किया है कि इस तरह की कोई बात नहीं है. CAA को लेकर किसी को डरने की जरूरत नहीं है. ये किसी को देश से निकालने के लिए कानून नहीं है."
CAA, NRC, NPR पर शिवसेना-कांग्रेस की अलग-अलग राय पर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने कहा, "थोड़े मतभेद हो सकते हैं लेकिन हम साथ में बैठकर बातचीत करेंगे और एक राय बनाएंगे."
उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. महा विकास अघाड़ी ने सर्वसम्मति से उन्हें तीनों दलों का नेता चुना था. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से 17 साल पुरानी दोस्ती तोड़कर अपने धुर विरोधी कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन कर लिया था.
बीजेपी और शिवसेना ने अक्टूबर में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन नतीजों के बाद सीएम पद को लेकर दोनों पार्टी में बात नहीं बनी और कई हफ्तों के राजनीतिक ड्रामे के बाद शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली.
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Published: 21 Feb 2020,10:41 PM IST