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सत्ता के नशे में मदहोश कुछ नेता, सरेआम कानून को हाथ में लेने में नहीं कतराते. ऐसे ही बरेली के के एक ‘मदहोश’ बीजेपी नेता ने भाभी की हार से झुंझलाकर जमकर हंगामा मचाया. बीजेपी के जिलाध्यक्ष पर एसडीएम से धक्का-मुक्की करते नजर आए, साथ ही उनपर एसडीएम को थप्पड़ जड़ने का भी आरोप है.
वाकया बरेली के नवाबगंज तहसील का है, जहां निकाय चुनाव की मतगणना के दौरान बीजेपी जिलाध्यक्ष रवींद्र सिंह राठौड़ अपनी भाभी की हार से नाराज हो गये और समर्थकों के साथ एसडीएम नवाबगंज राजेश कुमार पर हमला बोल दिया. बीजेपी नेता और उनके समर्थक पुलिस के सामने एसडीएम को जलील करते रहे. हालत यहां तक पहुंच गयी, कि पुलिस वाले एसडीएम को किसी तरह बचाते हुए बाहर ले आये.
दरअसल, मामला तब बिगड़ा, जब बीजेपी जिलाध्यक्ष के भाई नरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता नगर पालिका चेयरमैन पद का चुनाव बीएसपी की शहला ताहिर से 181 वोट से हार गईं. इस हार के बाद ही माहौल गर्म होने लगा.
बीजेपी जिलाध्यक्ष को इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि वो चुनाव हार सकते हैं, लिहाजा बीजेपी जिलाध्यक्ष रीकाउंटिंग की मांग करते हुए बिना किसी पास के मतगणना स्थल पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ पहुंच गये और जमकर हंगामा मचाया.
इस घटना के बाद एसडीएम ने बीजेपी जिलाध्यक्ष सहित पचास लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी.
इस मामले को लेकर पीसीएस संघ बेहद नाराज है और मुख्यमंत्री से शिकायत की है. साथ ही पीसीएस संघ ने मामले पर कार्रवाई और जिलाध्यक्ष की गिरफ्तारी के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. उमेश प्रताप सिंह यूपी पीसीएस संघ के अध्यक्ष उमेश प्रताप सिंह का कहना है कि अगर कार्रवाई नहीं होती है तो वे हड़ताल पर जा सकते हैं.
पीड़ित एसडीएम राजेश कुमार ने कहा कि बीजेपी जिलाध्यक्ष रवींद्र सिंह राठौड़, उनके भाई और उनके कुछ समर्थक मतगणना के दिन सुबह से ही काफी परेशान कर रहे थे. शाम को जब चुनाव परिणाम घोषित हुए तो बीएसपी प्रत्याशी शहला ताहिर चुनाव जीत गईं, जिसके बाद बीजेपी जिलाध्यक्ष रवींद्र सिंह राठौड़ अपने समर्थकों के साथ मतगणना स्थल पर अनधिकृत तौर पर घुसकर उनके साथ मारपीट की और जान से मारने की कोशिश की.
एसडीएम ने बताया कि हंगामा के दौरान बीजेपी नेता और उसके समर्थक कुछ भी करने पर उतारू थे. हंगामा बढ़ते देख पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने किसी एसडीएम की जान बचायी. एसडीएम ने यह भी आरोप लगाया कि मतदान वाले दिन बीजेपी जिलाध्यक्ष मुझे हिंदू बाहुल्य मतदान केंद्रों पर जाने से रोकने की कोशिश कर रहे थे.
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