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महाराष्ट्र के पालघर में हुई दो साधुओं की हत्या का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में दो साधुओं की तलवार से हत्या कर दी गई है. हालांकि पालघर की घटना में भीड़ ने साधुओं की हत्या की थी, जबकि बुलंदशहर मामले में एक अकेले शख्स का नाम सामने आया है. पालघर की घटना पर उद्धव ठाकरे सरकार जमकर विपक्ष के निशाने पर आई थी. वहीं अब कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने कहा है कि बुलंदशहर की घटना को सांप्रदायिक रंग नहीं देना चाहिए.
पालघर की घटना को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे थे. बीजेपी और अन्य संगठनों ने कांग्रेस और ठाकरे सरकार पर कई आरोप भी लगाए. लेकिन यूपी के बुलंदशहर में हुई घटना से उद्धव ठाकरे और उनके सहयोगी दलों को जवाब देने का मौका मिल गया है.
सबसे पहले कांग्रेस ने मोर्चा संभाला और योगी सरकार को घेरने की कोशिश की. पालघर की घटना को लेकर बीजेपी के निशाने पर रही कांग्रेस ने बुलंदशहर की घटना को लेकर ट्विटर पर लिखा,
"यूपी में लॉ एंड ऑर्डर बुरे से भी बदतर होता जा रहा है, जहां मंदिर के पुजारी भी सुरक्षित नहीं हैं. बीजेपी की ऐसे मुद्दों को सांप्रदायिक रंग देने की आदत है, लेकिन अब किस पर आरोप लगाए जाएं? यूपी के सीएम या फिर देश के पीएम पर?"
कांग्रेस के ट्विटर हैंडल के अलावा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी योगी सरकार को घेरने की कोशिश की. प्रियंका ने भी एक बार फिर वही तरीका अपनाया और घटना के राजनीतिकरण नहीं करने की बात कही. उन्होंने लिखा,
अब इस यूपी के मामले को लेकर शिवसेना ने हरकत में आने में ज्यादा वक्त नहीं लगाया. क्योंकि पालघर की घटना के बाद शिवसेना की विचारधारा पर सवाल खड़े किए जा रहे थे. लेकिन यूपी के बुलंदशहर में साधुओं की हत्या मामले को लेकर उद्धव ठाकरे हरकत में आए और उन्होंने सीधे योगी आदित्यनाथ से बाचतीत की.
वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने तो साफ कहा कि पालघर की घटना में जैसे राजनीति करने की कोशिश हुई, वैसे बुलंदशहर में नहीं होनी चाहिए. उन्होंने लिखा,
"भयानक! बुलंदशहर, यूपी के एक मंदिर में दो साधुओं की हत्या, लेकिन मैं सभी से अपील करता हूं कि वे इसे सांप्रदायिक न बनाएं, जिस तरह से कुछ लोगों ने पालघर मामले में करने की कोशिश की."
दरअसल बुलंदशहर की घटना और पालघर की घटना में काफी अंतर है. क्योंकि अभी तक की जानकारी के मुताबिक बुलंदशहर में साधुओं की फटकार के बाद एक शख्स ने उनकी हत्या कर दी. जिसे स्थानीय लोगों ने पुलिस के हवाले भी कर दिया है. लेकिन वहीं पालघर में पुलिस की ही मौजूदगी में लोगों की भीड़ साधुओं पर टूट पड़ी थी. जिसमें दो साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या कर दी गई. इस घटना को पहले सांप्रदायिक एंगल देने की कोशिश की जा रही थी और धर्म के आधार पर देखा जा रहा था. लेकिन बाद में महाराष्ट्र सरकार ने गिरफ्तार लोगों के नाम जारी कर बताया कि ये सब एक अफवाह है.
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