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उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के नतीजे समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का भविष्य तय करेंगे. आने वाले परिणाम मिशन 2022 को फतह करने में काफी सहायक हो सकते हैं. राजनीतिज्ञों की मानें, तो विपक्षी दल नंबर दो में आगे रहने की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं. कुल मिलाकर यह चुनाव भारतीय जनता पार्टी की जीत हार का नहीं है. विपक्ष में नंबर दो कौन रहेगा, इसके लिए विपक्ष लड़ता नजर आ रहा है.
पहली बार उपचुनाव में हाथ आजमा रही बीएसपी ने 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन एक भी जगह मायावती खुद प्रचार करने नहीं गईं. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ट्विटर को छोड़कर मैदान में आने का दम नहीं दिखा सकीं. एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव भी प्रचार के अंतिम दिन सिर्फ रामपुर में प्रचार करने गए.
विपक्षी दलों ने इन चुनवों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई और महज रस्मआदयगी की. ऐसा लग रहा था मानो ये लोग चुनाव के पहले ही हथियार डाल चुके हों. एसपी और बीएसपी के सामने जीती हुई सीटों पर कब्जा बनाए रखते हुए एक-दो सीटें और जीतकर खुए को साबित करने की चुनौती है.
हालांकि हमीरपुर के चुनाव नतीजों में विपक्ष को मुंह की खानी पड़ी है, लेकिन एसपी, बीएसपी और कांग्रेस से आगे रही है. विपक्षी खुद को नंबर दो पर लाने की जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं.
हालांकि उपचुनावों में बीजेपी का भी रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है, चाहे पार्टी विपक्ष में रही हो या सरकार में. अब इस बार बीजेपी का पूरा प्रयास है कि वह नौ सीटों को बरकरार रखने के साथ रामपुर और जलालपुर सीट एसपी और बीएसपी से हथिया ले. उपचुनाव में सफलता योगी को बीजेपी में और मजबूती देगी.
जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम आने हैं उनमें गंगोह, रामपुर, इगलास, लखनऊ कैंट, गोविन्दनगर, मानिकपुर, प्रतापगढ़, जैदपुर, जलालपुर, बलहा और घोसी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं.
मौजूदा विधानसभा में बीजपी के 302 विधायक हैं, जबकि एसपी के 47 विधायक हैं. बीएसपी के 18, बीजेपी की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के आठ और कांग्रेस के सात विधायक हैं.
(इनपुट IANS)
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