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शाह, मोदी और फिर नड्डा से योगी की मैराथन मुलाकातों का क्या मतलब?

योगी ने मोदी, शाह और नड्डा से मुलाकातों पर एक और कॉमन बात लिखी है-मार्गदर्शन मिला.

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UP Politics: शाह, मोदी और फिर नड्डा से योगी की मैराथन मुलाकातों का क्या मतलब?
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UP Politics: शाह, मोदी और फिर नड्डा से योगी की मैराथन मुलाकातों का क्या मतलब?
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कोरोना काल में योगी की दिल्ली में मैराथन मुलाकातें. पहले गृहमंत्री अमित शाह, फिर पीएम मोदी, फिर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और फिर आखिर में राष्ट्रपति से. खुद योगी ने ट्वीट कर इन चारों मुलाकातों को शिष्टाचार भेंट का नाम दिया. लेकिन 24 घंटे के अंदर इतना 'शिष्टाचार' सामान्य तो बिल्कुल नहीं लग रहा. ऊपर से योगी से मिलने के बाद नड्डा, मोदी और शाह ने भी आपस में बात की है.

इस सरगर्मी के पीछे क्या है?

योगी ने मोदी, शाह और नड्डा से मुलाकातों पर एक और कॉमन बात लिखी है-मार्गदर्शन मिला. कयास लगाए जा रहे हैं कि जब योगी यूपी लौटेंगे तो मंत्रिमंडल विस्तार संभव है.

पिछले कुछ दिन यूपी बीजेपी में चहल पहल मची हुई है. 24 से 27 मई के बीच पीएम मोदी के करीबी माने जाने वाले, RSS जनरल सेक्रेट्री दत्तात्रेय होसबोले लखनऊ पहुंचे. उसके बाद पार्टी महासचिव बीएल संतोष दो दिन लखनऊ में डटे रहे. दिल्ली लौटे तो पीछे से योगी आए और पार्टी के सबसे वरिष्ठ तीन लोगों से मिले. इस बीच में एक और घटना हुई है कि कांग्रेस से जितिन प्रसाद पार्टी में आ गए हैं.

कैबिनेट विस्तार?

चर्चा है कि यूपी में कैबिनेट विस्तार मुमकिन है जिसमें एके शर्मा और जितिन प्रसाद को जगह दी जा सकती है. रोचक बात है कि 5 जुलाई को राज्य में 4 एमएलसी सीटों के लिए चुनाव होने हैं. ये चारों सीटें पहले एसपी के पास थीं. लेकिन विधानसभा में बीजेपी की ताकत देखते हुए बीजेपी इनपर आसानी से कब्जा कर लेगी, ऐसा माना जा सकता है. प्रसाद के लिए कैबिनेट की राह इस चुनाव से होकर गुजर सकती है.

एके शर्मा जनवरी में ही दिल्ली से लखनऊ डिस्पैच किए गए हैं लेकिन अभी तक उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है. सियासी चकल्लस थी कि दरअसल आलाकमान एके शर्मा को डिप्टी सीएम बनाना चाहता है लेकिन योगी इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे.

होसबोले से लेकर बीएल संतोष के लखनऊ दौरे को लेकर सियासी पंडित यही कह रहे थे कि हो न हो,ये एके शर्मा पर योगी को मनाने की कवायद हो. इन दौरों के बाद योगी का मैराथन दिल्ली दौरा हुआ है. पीएम से तो योगी की 80 मिनट तक बातचीत हुई है.

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चुनावी नैया पार लगाने की कवायद

बीजेपी की इन फौरी सियासी सरगर्मियों के अलावा विधानसभा चुनाव 2022 भी हैं. जिस तरीके से योगी सरकार ने कोरोना के समय काम किया है, उससे पार्टी की बड़ी बदनामी हुई है. तो कोई ताज्जुब नहीं कि दरअसल ये सारी बैठकें और मुलाकातें क्राइसिस मैनेजमेंट की कवायद हों. इस कवायद के तहत यूपी में कुछ बड़ा बदलाव होने की भी चर्चा जोरों पर है, लेकिन हकीकत ये है कि अभी ये सिर्फ चर्चा ही है. अहम ये है कि योगी से मुलाकात के बाद शाह, नड्डा और पीएम मोदी ने भी आपस में बात की है.

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