मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019सरकार बनाने से ज्यादा वेस्ट यूपी के इन 5 नेताओं को है साख की चिंता

सरकार बनाने से ज्यादा वेस्ट यूपी के इन 5 नेताओं को है साख की चिंता

एक समय था जब वेस्ट यूपी पूरे देश की राजनीति का केंद्र होता था.

नवनीत गौतम
पॉलिटिक्स
Published:
फोटो कोलाज: द क्विंट
i
फोटो कोलाज: द क्विंट
null

advertisement

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा से ही प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण रोल अदा करता रहा है. जिस समय चौधरी चरण सिंह सक्रिय राजनीति का हिस्सा थे, उस दौरान यह इलाका देश की राजनीति का केंद्र होता था. प्रदेश में सरकार किसी भी पार्टी की रही हो, लेकिन कोई भी सरकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश को नजरअंदाज करने की भूल नहीं कर सकती थी. 2017 के विधानसभा चुनाव की शुरुआत इसी इलाके से हो रही है. शनिवार को वेस्ट यूपी के 15 जिलों की विधानसभाओं में वोट डाले जाने वाले हैं. पूरे प्रदेश में चुनाव के परिणाम जो भी हों, लेकिन वेस्ट यूपी की इन 6 शख्सियतों की साख पूरी तरह दांव पर लगी है.

1. चौधरी अजीत सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह प्रदेश की किसान राजनीति का सबसे अहम मोहरा रहे हैं. बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, मथुरा जैसी किसान बेल्ट में चौधरी अजीत सिंह के कद को नकारा नहीं जा सकता है. 2002 के चुनाव में समाजवादी पार्टी चौधरी अजीत सिंह के समर्थन से ही सरकार बनाने में सफल हो पाई थी. इलाके के लोग इन्हें छोटे चौधरी के नाम से भी जानते हैं.

2. संजीव बालियान

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान (फोटो: facebook)

मुजफ्फरनगर दंगों के बाद एकाएक चर्चा में आए और बीजेपी के टिकट पर 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा. वाराणसी में मोदी और गाजियाबाद में वीके सिंह के बाद बालियान तीसरे ऐसे नेता थे, जो बड़े अंतर से चुनाव जीते थे. संजीव बालियान फिलहाल केंद्र सरकार में मंत्री हैं. इन पर मुजफ्फरनगर दंगों में हाथ होने का आरोप भी है.

3. इमरान मसूद

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद (फोटो: facebook)

कांग्रेस नेता इमरान मसूद सबसे पहले 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद चर्चा में आए. 2014 का लोकसभा चुनाव तो इमरान हार गए, लेकिन अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को बेहद कड़ी टक्कर देकर उन्होंने प्रदेश में मोदी लहर को भी कड़ी चुनौती दी थी. उनके क्षेत्र सहारनपुर में यूं तो बीएसपी का कब्जा है, लेकिन फिर भी इमरान इस राजनीति के केंद्र में रहते हैं. पार्टी आलाकमान ने उन्हें इसका इनाम दिया और उन्हें पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया.

4. संगीत सोम

सरधना से बीजेपी विधायक (फोटो: facebook)

अपने जहरीले भाषणों की वजह से हमेशा चर्चा में रहने वाले सरधना विधायक संगीत सोम कट्टरवादी राजनीति का बड़ा चेहरा रहे हैं. मुजफ्फरनगर दंगों में आरोपी सोम आसपास के इलाकों के नतीजों को भी प्रभावित करते हैं. सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव नेताओं में भी इनका नाम शुमार है.

5. लक्ष्मीकांत वाजपेयी

मेरठ से चार बार विधायक और पूर्व प्रदेेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी (फोटो: facebook)

लक्ष्मीकांत वाजपेयी बीजेपी की शहरी राजनीति का हिस्सा माने जाते हैं. मेरठ के रहने वाले वाजपेयी चार बार मेरठ से विधायक भी रहे हैं. केशव प्रसाद मौर्य से पहले प्रदेश बीजेपी की कमान इन्हीं के हाथ में थी. फिलहाल भले ही वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष न हों, लेकिन वेस्ट यूपी के शहरी इलाकों में उनकी पकड़ अभी भी काफी मजबूत है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT