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उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में प्रत्याशी अपने प्रचार अभियान के दौरान तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. कई जगह तो अब कुत्तों के जरिए चुनाव प्रचार हो रहा है. कम से कम दो उम्मीदवार - एक रायबरेली और दूसरा बलिया जिले में अपने प्रचार करने के लिए आवारा कुत्तों का उपयोग कर रहे हैं.
ये उम्मीदवार कुत्तों पर अपने पोस्टर और पर्चे चिपका रहे हैं और उन्हें इधर-उधर घूमने दे रहे हैं.
नाम न जाहिर करने की अपील करते हुए एक उम्मीदवार ने कहा कि "आदर्श आचार संहिता में ऐसा कोई नियम नहीं है जो हमें प्रचार के दौरान आवारा कुत्तों का उपयोग करने से रोकता है. हम किसी भी तरह से जानवर को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं. दरअसल हम कुत्तों को हर दिन भोजन कराते हैं. यह एक उत्तम विचार है और मतदाता इस तरह के नवाचारों के प्रति आकर्षित होते हैं."
एनिमल एक्टिविस्ट रीना मिश्रा ने कहा, "अगर चुनाव के दौरान इसी तरह के स्टिकर किसी आदमी के चेहरे पर चिपकाए जाएं तो उसे कैसा महसूस होगा? चूंकि कुत्ते विरोध नहीं कर सकते, इसलिए हमें उनके साथ इस तरह से व्यवहार करने का कोई औचित्य नहीं है. जो प्रत्याशी चुनाव प्रचार के इस तरीके का सहारा ले रहे हैं, उनके खिलाफ पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए."
बहरहाल, पंचायत चुनावों में मतदाताओं के लिए इस बार 'कुछ अच्छी जीचें' हैं, लेकिन शराब नहीं है. इस बार, उम्मीदवार 'अन्य अच्छी चीजों' पर जोर दे रहे हैं.
बागपत में उम्मीदवार मोहम्मद जब्बार सहित दस व्यक्तियों को भी नामजद किया गया है क्योंकि वे मतदाताओं भारी मात्रा में 'लड्डू' और घास काटने की मशीन वितरित कर रहे थे. इसकी एक वीडियो क्लिप वायरल हो गई जिसके बाद कार्रवाई की गई.
सुल्तानपुर में एक जिला पंचायत उम्मीदवार मोबाइल फोन वितरित कर रहे हैं. बेशक, शराब लगभग हर चुनाव में उत्तर प्रदेश में प्रचार का एक प्रमुख हिस्सा है. लेकिन, इस बार मतदाता अब 'देसी दारू' को स्वीकार नहीं कर रहे हैं.
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