मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019UP चुनाव फेज 1: विरोधी पार्टियों ने उतारे ज्‍यादा बाहुबली-धनबली

UP चुनाव फेज 1: विरोधी पार्टियों ने उतारे ज्‍यादा बाहुबली-धनबली

दरअसल, साफ-सुथरे उम्‍मीदवारों की तुलना में दागियों की जीत की संभावना 3 गुना तक बढ़ जाती है.

अमरेश सौरभ
पॉलिटिक्स
Updated:
(फोटो: <b>क्‍व‍िंट हिंंदी</b>)
i
(फोटो: क्‍व‍िंट हिंंदी)
null

advertisement

इस वक्‍त हर किसी की निगाहें यूपी में 11 फरवरी को होने जा रही पहले चरण की वोटिंग की ओर टिकी हुई हैं. इस फेज के उम्‍मीदवारों पर एक नजर डालें, तो एक खास पुराने पैटर्न की झलक मिल जाती है. मतलब, सत्ताधारी पार्टी के उम्‍मीदवारों की तुलना में उन्‍हें टक्‍कर दे रही दूसरी पार्टियों ने कहीं ज्‍यादा दागी और धनबली प्रत्‍याशी उतारे हैं.

पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में ऐसा देखा गया है कि सत्ताधारी पार्टी के उम्‍मीदवारों को हराने के लिए विपक्षी पार्टियां उनके खिलाफ कहीं ज्‍यादा बाहुबली और धनबली उम्‍मीदवार खड़े करती हैं. हालांकि इस पैटर्न के कुछ अपवाद भी मिलते हैं. साल 2010 के विधानसभा चुनाव में सत्ता पर काबिज बीजेपी-जेडीयू ने औरों से कहीं ज्‍यादा दागी उम्‍मीदवार उतारे थे.

जीत की संभावना बढ़ाने की पुरानी चाल

सवाल उठता है कि आखिर विपक्षी पार्टियां टिकट बांटने में धनबलियों और बाहुबलियों को तरजीह क्‍यों देती हैं?

दरअसल, कई स्‍टडी में यह तथ्‍य पाया गया है कि ‘साफ-सुथरे’ उम्‍मीदवारों की तुलना में दागियों की जीत की संभावना 3 गुना तक बढ़ जाती है. साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव के नतीजे इस तथ्‍य की पुष्‍ट‍ि करते हैं.

यहां गौर करने वाली बात यह है कि चुनावी दंगल के उठापटक में केवल मसल पावर ही नहीं, बल्‍कि‍ मनी पावर भी अपना गहरा असर दिखाता है.

यूपी चुनाव के फर्स्‍ट फेज में वही पैटर्न

जहां तक यूपी चुनाव के फर्स्‍ट फेज की बात है, प्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी की तुलना में बीजेपी, बीएसपी और आरएलडी ने कहीं ज्‍यादा धनबली और बाहुबली उम्‍मीदवार उतारे हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्‍स (ADR) की स्‍टडी में इसे साफ तौर पर देखा जा सकता है. देखें ग्राफिक्‍स:

(ग्राफिक्‍स: कौशिकी कश्‍यप/क्‍व‍िंट हिंदी)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
वैसे पहले चरण में 73 सीटों पर कुल 839 उम्‍मीदवार मैदान में हैं. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें 168 (20 फीसदी) उम्‍मीदवार पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं. साथ ही 302 (36 फीसदी) उम्‍मीदवार करोड़पति हैं.

मतलब, साफ-सुथरी राजनीति के दावों और वादों के बीच सियासी पार्टियां केवल जीत के लक्ष्‍य को पाने की कोशिश में जुटी नजर आती हैं. यही वजह है कि वोटरों को अलग 'चाल, चरित्र और चेहरा' ढूंढने पर भी नहीं मिल पाता.

यह भी पढ़ें.

यूपी चुनाव: चुनाव से पहले, पहले फेज के बारे में यह जानना जरूरी है

UP में चुनावी रैलियों की आंधी, देखिए एक झलक...

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 10 Feb 2017,05:16 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT