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यूपी में राज्यसभा के लिए 10 कैंडिडेट चुन लिए गए हैं वो भी निर्विरोध. इनमें 8 बीजेपी, एक एसपी और बीएसपी के उम्मीदवार हैं. बीजेपी के 8 कैंडिडेट्स के निर्वाचित होने से उच्च सदन में पार्टी की ताकत भी बढ़ेगी. बहुजन समाज पार्टी से रामजी गौतम और समाजवादी पार्टी से प्रोफेसर रामगोपाल यादव भी राज्यसभा पहुंचे हैं.
खास बात ये है कि बीजेपी के पास 18 वोट थे लेकिन बीजेपी 9वें कैंडिडेट के लिए कोशिश नहीं की और बिना पर्याप्त संख्या बल के ही बीएसपी ने रामजी गौतम को उम्मीदवार बनाया था और अब वो जीत भी गए हैं. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इसे बीजेपी-बीएसपी की 'मिलीभगत' बता चुकी हैं और बीएसपी के रामजी गौतम को रोकने के लिए एसपी ने निर्दलीय प्रकाश बजाज को समर्थन दे दिया था. बाद में बजाज का पर्चा खारिज हो गया.
इस पूरी कवायद में बीएसपी के उम्मीदवार रामजी गौतम के 10 में से 5 प्रस्तावकों ने अपना नाम वापस ले लिया था. बाद में बीएसपी चीफ मायावती ने 7 विधायकों को पार्टी से बाहर कर दिया.
7 विधायकों को सस्पेंड करते मायावती ने समाजवादी पार्टी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था और कहा था कि इसका हिसाब वो जनवरी में होने जा रहे एमएलसी चुनाव में करेंगी. मायावती का कहना है कि भले ही बीजेपी को सपोर्ट करना पड़े लेकिन एसपी कैंडिडेट को उनकी पार्टी हराएगी. इस बयान के बाद बीएसपी-बीजेपी की 'मिलीभगत' जैसे आरोप लगें तो 2 नवंबर को मायावती की तरफ से सफाई आई उन्होंने कहा कि कांग्रेस और एसपी के लोग उनके बयान की गलत व्याख्या कर भ्रम फैला रहे हैं. यूपी में होने वाले एमएलसी चुनावों में बीएसपी, एसपी को हराने के लिए बीजेपी या किसी अन्य पार्टी का समर्थन करेगी. उन्होंने कहा कि हमने एसपी के दलित विरोधी कार्यों के खिलाफ कड़ा रुख दिखाने के लिए यह निर्णय लिया है.
उन्होंने ये भी कहा कि वह राजनीति से सन्यास ले लेंगी लेकिन भाजपा के साथ गठबंधन कभी नहीं करेंगी.
बता दें कि बीजेपी के बृजलाल, हरिद्वार दुबे, गीता शाक्य, सीमा द्विवेदी और बीएल वर्मा पहली बार राज्यसभा में पहुंचे हैं. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह और नीरज शेखर को पार्टी ने दोबारा मौका दिया है.
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Published: 02 Nov 2020,06:24 PM IST