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उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव जारी हैं. इनमें से 10 सीट ऐसी हैं जिनके विधायक लोकसभा चुनाव 2019 में सांसद चुन लिए गए थे. ग्यारहवीं सीट हमीरपुर सीट है जहां के विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल का नाम हत्या के मामले में आने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
लोकसभा चुनाव 2019 में मिली करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूट गया था, जिसके बाद अब विधानसभा उपचुनावों में दोनों दल अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं. दूसरी ओर, कांग्रेस को पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की अगुवाई में कुछ अप्रत्याशित परिणामों की उम्मीद है.
उत्तर प्रदेश में साल 2017 में विधानसभा चुनाव हुए थे. बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को हराकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था. उपचुनावों में भी बीजेपी को बड़ी जीत की उम्मीद है, ताकि वह यूपी विधानसभा में और अधिक संख्या जुटा सके.
उत्तर प्रदेश की कुल 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है.
इस सीट पर साल 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी ने जीत हासिल की थी. लोकसभा चुनाव 2019 में रीता बहुगुणा जोशी ने प्रयागराज सीट से चुनाव लड़ा और जीतीं. लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद रीता बहुगुणा जोशी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद लखनऊ कैंट सीट खाली हो गई थी.
बीजेपी के लाल गुप्ता के प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई थी.
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म खान के रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद रामपुर सदर विधानसभा सीट खाली हो गई थी. आजम खां रामपुर विधानसभा सीट से नौ बार विधायक रहे हैं.
गंगोह विधानसभा सीट सहारनपुर जिले और कैराना लोकसभा क्षेत्र में आती है. साल 2017 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी के प्रदीप चौधरी ने जीत दर्ज कराई थी, बाद में पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनावों में कैराना सीट से उम्मीदवार बनाया. प्रदीप चौधरी के कैराना सीट से सांसद चुन लिए जाने के बाद गंगोह विधानसभा सीट खाली हो गई थी.
चित्रकूट की मानिकपुर विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी के आरके सिंह पटेल विधायक चुने गए थे. बाद में वह 2019 के लोकसभा चुनाव में बांदा सीट से सांसद चुने गए. इसके बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
बीजेपी के राजवीर सिंह वाल्मीकि दिलेर के हाथरस लोकसभा सीट से जीतने के बाद अलीगढ़ जिले में पड़ने वाली इगलास विधानसभा सीट खाली हो गई थी.
समाजवादी पार्टी ने ये सीट अपनी सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के लिए छोड़ी थी. RLD ने इस सीट से सुमन दिवाकर को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन जाति प्रमाण पत्र और बी फार्म समय से जमा नहीं किए जाने के कारण सुमन दिवाकर का नामांकन रद्द कर दिया गया है.
गोविंद नगर विधानसभा सीट बीजेपी के सत्यदेव पचौरी के कानपुर लोकसभा सीट से निर्वाचित होने के बाद खाली हो गई थी.
इस सीट से बीजेपी के अक्षयवर लाल गौड़ विधायक थे, लोकसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हें बहराइच सीट से उम्मीदवार बनाया था. सांसद निर्वाचित होने के बाद बलहा सीट खाली हो गई थी.
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के फागू चौहान ने जीत हासिल की थी. फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाए जाने के बाद उन्होंने इस सीट से अपना इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद निर्वाचन आयोग ने यहां पर उपचुनाव कराने की घोषणा की.
उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से पहले यहां समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी बनाए गए सुधाकर सिंह का नामांकन खारिज हो गया है. निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, प्रत्याशी सुधाकर सिंह के नामांकन पत्र के साथ सिंबल के प्रपत्र पर राष्ट्रीय अध्यक्ष का हस्ताक्षर अपेक्षित स्थान पर ना होने की वजह से उनका नामांकन खारिज कर दिया गया है.
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Published: 01 Oct 2019,11:08 PM IST