मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019क्या गोरखपुर त्रासदी योगी सरकार की अब तक की सबसे बड़ी नाकामी है?

क्या गोरखपुर त्रासदी योगी सरकार की अब तक की सबसे बड़ी नाकामी है?

क्या गोरखपुर में बच्चों की मौत उत्तर प्रदेश सरकार की 6 महीने की सबसे बड़ी नाकामी है ?

अभय कुमार सिंह
पॉलिटिक्स
Published:


(फोटो: PTI)
i
(फोटो: PTI)
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

advertisement

बाबा, योगीजी, आदित्यनाथ- पूर्वांचल में यूपी के मुख्यमंत्री के कई नाम हैं. 19 मार्च 2017 यानी 6 महीने पहले जब वो प्रदेश के मुखिया बने थे, तो सबसे ज्यादा पटाखे पूर्वांचल में ही फूटे. आखिर ऐसा क्यों न हो, गोरखनाथ पीठ के महंत और करीब 19 साल से गोरखपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद रहे हैं योगी आदित्यनाथ.

सिर्फ गोरखपुर ही नहीं, पूर्वांचल के महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, देवरिया, कुशीनगर समेत 10 से ज्यादा जिलों में योगी आदित्यनाथ को लोग 'पूजते' हैं. ऐसे में हम आपके सामने दो तस्वीरें रखते हैं. एक है 19 मार्च यानी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले और एक मुख्यमंत्री बनने के करीब 5 महीने के बाद की.

तारीख: 15 मार्च

जगह: महाराजगंज, गोरखपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर

महाराजगंज, यूपी

चाय की दुकानों से लेकर जिला अस्पताल में आए मरीजों तक एक ही चर्चा थी. इस बार योगीजी अगर मुख्यमंत्री बन गए, तो तस्वीर बदल जाएगी. ‘’बाबा का इलाका है, किसी को निराश नहीं करेंगे.’’ जिला अस्पताल में जनवरी से मार्च तक 3 बच्चों की मौत हो चुकी थी, लेकिन लोग आश्वस्त थे कि 'बाबा' अगर सीएम बनें, तो बच्चों को यूं अकाल मौत का शिकार नहीं होना होगा.

हर तरफ योगी आदित्यनाथ को लेकर भरोसा, इज्जत और अपनेपन की झलक दिख रही थी.

अब देखिए दूसरी तस्वीर

तारीख: 12 अगस्त

जगह: एकला गांव, गोरखपुर

एकला गांव, गोरखपुर

द क्विंट को आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र के गांव में नजारा बिलकुल उलट दिखा. गांव के एक युवा अमित का बयान इस पूरी तस्वीर को साफ करता है.

योगी जी की लोग पूजा करते थे, लेकिन उन्हें क्या हो गया अब नहीं पता.

अमित के ही गांव के रहने वाले बहादुर का 4 साल का बेटा दीपक इंसेफेलाइटिस की 'भेंट' चढ़ गया था, जाहिर है कि लोगों के बीच गुस्सा तो था.

7 से 11 अगस्त के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र में आने वाले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60 बच्चों की मौत हो गई थी. रिपोर्ट आई कि इनमें से कई मौतों का कारण ऑक्सीजन की कमी थी, तो कई मौतें इंसेफेलाइटिस की वजह से हुई थी.

अब दीपक की मां नंदिनी का भी दुखड़ा सुन लीजिए, दीपक की मां नंदिनी बताती हैं कि पहले तो मेडिकल कॉलेज में कोई एडमिट ही नहीं कर रहा था.

<b>बाबा के आने के बाद सब बंद हो गया, भर्ती नहीं ले रहे थे</b>
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

योगी आदित्यनाथ ने किया था BRD अस्पताल का दौरा

दरअसल, 9 अगस्त को खुद योगी आदित्यनाथ ने इस अस्पताल का औचक निरीक्षक कर स्वास्थ्य व्यवस्था का जायजा लिया था. उन्होंने अस्पताल के प्रिंसिपल, सीएमओ और दूसरे डॉक्‍टरों से बातचीत की थी, लेकिन लापरवाही कहीं नहीं दिखी. इसके अगले ही दिन सुनाई पड़ी 60 बच्चों की मौत की चीखें.

मौतों का सिलसिला यहीं नहीं थमा, हर रोज बीआरडी से बच्चों की मौत की खबरें आईं. 28 अगस्त तक 296 बच्चे दुनिया में नहीं रहे.

बयानबाजी से कम हुआ भरोसा?

ऐसे में लोग तो इस बात से भी सन्न हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? सरकार के अलग-अलग बयानों से भी लोगों को निराशा ही हाथ लगी. जरा इसपर भी नजर डाल लीजिए:

यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद वहां पहुंचे थे, उन्होंने कहा, 'अगस्त में मौतें होती आई हैं'

फिर खुद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का भी बयान आया, 'सफाई की कमी से बच्चों की मौत हुई.'

हाल ही में एक न्यूज नेटवर्क को दिए गए इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस से मौत पिछले 40 सालों से हो रही है.

6 महीने की सबसे बड़ी खामी?

लेकिन क्‍या मुख्यमंत्री के इलाके में ऑक्सीजन की कमी से इतने सारे बच्‍चे मर सकते हैं? गैस सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स का पिछले एक साल का करीब 69 लाख रुपये बकाया था, जिसे चुकाने में बीआरडी अस्पताल प्रशासन आनाकानी कर रहा था.

कंपनी ने इसके लिए कई एप्लीकेशन भी लिखे, लेकिन पैसों का भुगतान नहीं हुआ और नतीजा सबके सामने है. क्‍या ये बहुत बड़ी चूक नहीं है?

गोरखपुर में इस तरह बच्चों की मौत का मामला पूरे देश में गूंजा और ये योगी सरकार की अब तक की सबसे बड़ी नाकामी साबित हुई.

वो गोरखपुर, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर एक बीआरडी मेडिकल कॉलेज ही नजर आता है, वो भी सिर्फ गोरखपुर के लिए नहीं. पूर्वांचल के अधिकतर जिलों के लोग इलाज कराने के लिए यहीं आते हैं.

ऐसे में जब योगी आदित्यनाथ के 6 महीनों की बात होती है, तो स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी और गोरखपुर त्रासदी सबसे बड़ी कमजोरी के तौर पर नजर आती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT