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UT Khader: BJP गढ़ में जीत,संतुलित आवाज.. कौन हैं कर्नाटक के नए विधानसभा अध्यक्ष?

यूटी खादर पांच बार के विधायक और कांग्रेस के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हैं

निखिला हेनरी
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>UT Khader&nbsp;Karnataka's New Assembly Speaker</p></div>
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UT Khader Karnataka's New Assembly Speaker

(फोटो- ट्विटर)

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka assembly elections) से एक दिन पहले, यूटी खादर (UT Khader) ने द क्विंट से कहा था, " सिर्फ तटीय क्षेत्र में नहीं हम पूरे कर्नाटक में बीजेपी की ध्रुवीकरण की राजनीति को हरा देंगे." 13 मई को जब नतीजे आए तो राज्य भर में 135 सीटों पर कांग्रेस पार्टी की शानदार जीत हुई थी. तटीय कर्नाटक में छह में से केवल एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी- खादर ने अपनी मंगलुरु विधानसभा सीट बरकरार रखी थी.

वैसे तो यूटी खादर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें 24 मई को कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया और फिर सर्वसम्मति से चुना गया.

तो यूटी खादर कौन हैं?

यूटी खादर: हिंदुत्व के एक प्रबल आलोचक, कांग्रेस में एक संतुलित आवाज

53 वर्षीय यूटी खादर दिग्गज कांग्रेसी नेता और कर्नाटक के पूर्व मंत्री यूटी फरीद के बेटे हैं. खादर 2013 और 2018 के बीच कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री थे, जब सिद्धारमैया राज्य के मुख्यमंत्री थे.

पांच बार के विधायक, यूटी खादर को कर्नाटक के मीडिया हलकों में मृदुभाषी और मुखर वक्त, दोनों के रूप में जाना जाता है. जब भगवा पार्टी 2018 और 2022 के बीच राज्य में सत्ता में थी तो मैंगलुरु के एक विधायक के रूप में खादर बीजेपी के मुखर आलोचक थे.

अपने कई बयानों में - जिनमें हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं का समर्थन करने वाले और राज्य में राजनीतिक हत्याओं को भुनाने वाले हिंदुत्व संगठनों के खिलाफ बयान शामिल हैं - खादर ने बीजेपी के कार्यकाल के दौरान कर्नाटक में बढ़ती सांप्रदायिकता पर चिंता व्यक्त की थी.

खादर एक मुस्लिम नेता हैं जो अल्पसंख्यक बेरी भाषाई समूह से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने हलाल मांस और मंदिर के त्योहारों में मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश पर बैन लगाने के बीजेपी के कथित प्रयास का भी विरोध किया था.

हालांकि, उन्हें एक उदारवादी आवाज के रूप में भी जाना जाता है, जो कभी-कभी कांग्रेस की अपनी बयानबाजी को संतुलित करती है. इसका एक दूसरा पक्ष भी है. उदाहरण के लिए, उन्होंने पहले तो हिजाबी छात्राओं का समर्थन किया लेकिन बाद में खादर ने भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने को समझने के लिए पाकिस्तान और सऊदी अरब जाने के लिए कहकर उनके विरोध को झटका भी दिया.

बताया जा रहा है कि केपीसीसी अध्यक्ष और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के करीबी सहयोगी, खादर को कैबिनेट बर्थ नहीं मिली क्योंकि सीएम सिद्धारमैया ने अपने सहयोगी बीजेड जमीर अहमद खान को तरजीह दी है.

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'खादर का अनुभव रंग लाएगा'

भले ही खादर को सिद्धारमैया कैबिनेट में जगह नहीं मिली, लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें कर्नाटक विधानसभा में अच्छी तरह से समायोजित किया गया है. वह उन नेताओं में से एक हैं, जो सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों को स्वीकार्य हैं. वैसे माना जाता है कि वे डीके शिवकुमार ने उन्हें सिद्धारमैया की तुलना में अधिक फेवर करते हैं.

कांग्रेस में, खादर के विधायी अनुभव और पार्टी की बैकग्राउंड की अच्छी तरह से सराहना की जाती है. कांग्रेस के अनुसार, वह स्पीकर पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं.

कांग्रेस नेताओं के अनुसार, यूटी खादर काफी सम्मानित हैं क्योंकि उन्होंने उस तटीय कर्नाटक में मंगलुरु सीट को बरकरार रखा है, जो बीजेपी का गढ़ है.

एक नपे-तुले विधायक के रूप में जाने जाने वाले खादर को पद संभालने के लिए कहा गया क्योंकि वे सदन को व्यवस्थित रखने के लिए अपने विधायी और प्रशासनिक अनुभव का उपयोग कर सकते हैं.

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