मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019उत्तर प्रदेश का एक वीरान गांव ‘जिसे कोई नहीं पूछता’

उत्तर प्रदेश का एक वीरान गांव ‘जिसे कोई नहीं पूछता’

इस गांव का लोकेशन इसे लगभग अदृश्य बनाता है. यहां तक कि स्थानीय प्रशासन का भी ध्यान इसपर नहीं जाता है.

आकिब रजा खान & नीरज गुप्ता
पॉलिटिक्स
Published:


यूपी चुनाव 2017: सीतापुर और बहराइच के बीच घाघरा नदी किनारे मछली पकड़ता मछुआरा. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)
i
यूपी चुनाव 2017: सीतापुर और बहराइच के बीच घाघरा नदी किनारे मछली पकड़ता मछुआरा. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)
null

advertisement

“मैं क्यों वोट करूं जब कोई इसके लिए पूछने तक नहीं आता”

चेहरे पर बेरुखी दिखाते हुए ऐसा कह रहे हैं फौजदार. फौजदार एक किसान हैं और उनकी उम्र लगभग 50 के आसपास होगी.

फौजदार के गांव पचीसा के ज्यादातर लोग भी उनकी तरह ही सोचते हैं. उत्तरप्रदेश के सीतापुर जिले से लगभग 80 किलोमीटर दूर इस गांव में 350 परिवारों की बसावट होगी. ये गांव दो नदियों शारदा और घाघरा से घिरा है.

इस गांव की लोकेशन इसे लगभग अदृश्य बनाती है. यहां तक कि स्थानीय प्रशासन का भी ध्यान इसपर नहीं जाता है.

यूपी चुनाव 2017: घाघरा नदी के किनारे अपने रिश्तेदारों के साथ पर्पल रंग के कुर्ते में खड़े पुतीराम, जिन्होंने हमारे लिए क्रू मेंबर बनने में दिलचस्पी दिखाई और नाव की पतवार संभाले राम. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

इस गांव तक सिर्फ नाव के जरिए ही पहुंचा जा सकता है. हमने सीतापुर से लगभग 2 घंटे तक का सफर गाड़ी से तय किया फिर एक पक्के रास्ते से होते हुए और आधे घंटे का सफर किया. इसके बाद 20 मिनट पैदल चलने पर हम नाव लगने की जगह तक पहुंच पाए.

यूपी चुनाव 2017: नाव को किनारे खींचते ‘क्रू मेंबर’. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

कभी-कभी नदी नाव के भीतर भी दिख जाती है. “नाव की पेंदी’ में थोड़ी गड़बड़ी है इसलिए पानी अंदर आ जाता है”. शांति से पुतीराम बताते हैं.

यूपी चुनाव 2017: इस बीच नाव के अंदर पानी का संतुलन बनाए रखने की कोशिश जारी रहती है. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)
यूपी चुनाव 2017: शांत घाघरा नदी में नाव की पतवार सुरेश संभालने लगा. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

“इस नदी को पार करने में लगभग एक घंटे का समय तो लग जाएगा. नदी के पार 4 एकड़ में मसूर की खेती है.” छिछले पानी में नाव खेते हुए सुरेश बता रहा है.

350 परिवारों के गांव में सुरेश 11 उन लोगों में एक है जिसके पास नाव है.

360 व्यू: द क्विंट से आकिब रजा खान और नीरज गुप्ता नाव से गांव पचीसा की ओर.

यूपी चुनाव 2017: शांत घाघरा नदी के किनारे मछली पकड़ने को तैयार नाव पर एक मछुआरा. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)
यूपी चुनाव 2017: पचीसा गांव, शांत. गाड़ियों की शोर से दूर. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)
यूपी चुनाव 2017: फूस की झोंपड़ियों की कतार. हर बार नदी में पानी बढ़ता है और लोगों को ऊंची जगहों पर जाना पड़ता है. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

“इस गांव में आपको कैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है?”

“सैगर हई. कइसन बताईं? (बहुत सी हैं कैसे बताऊं?)“

“क्या मैं आपका नाम जान सकता हूं?”

“हमारे गांव में औरतें अपना नाम नहीं बताती.”

यूपी चुनाव 2017: किसान फौजदार अपनी झोपड़ी में बैठा है. अंदर नाममात्र की जरुरियात की चीजें दिख रही हैं. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

“मैं क्यों वोट करुं जब कोई इसके लिए पूछने तक नहीं आता.”

फौजदार तल्खी से कहता है.

यूपी चुनाव 2017: फौजदार की जरुरत का सामान झोंपड़ी में टंगा पड़ा है. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

“क्या ये टाॅर्च काम करता है?”

“नहीं भईया. ई खराब पड़ा है.”

फौजदार जानकारी देता है.

यूपी चुनाव 2017: छूटकू नाव के साथ खड़ी है जो पिछली बार आई बाढ़ की वजह से टूट-फूट गया. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

“मेरे 6 बेटे, 3 बेटियां, 3 बहुएं, 4 पोते और पति हैं. मेरे पास भी नाव थी. लेकिन बाढ़ से सब खत्म हो गया. नाव हमारी एकमात्र सहारा थी.”

फोटो क्लिक कराने के लिए साड़ी ठीक करती हुई छूटकू ये सब बताती हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
यूपी चुनाव 2017: गुलाब रानी अपने बच्चों के साथ. वो उन्हें रहने के लिए बेहतर जगह देना चाहती है. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

“मैं किसी को भी वोट दे दूंगी जो मुझे रहने के लिए थोड़ी ऊंची जगह दे दे. मैं लगातार अपने बच्चों के ठिकाने को लेकर चिंता में रहती हूं. मुझे डर है कि वो किसी दुर्घटना में डूब न जाएं. बरसात में तो और भी बुरी हालत हो जाती है.” चारों तरफ से अपने बच्चों से घिरी 35 साल की गुलाब रानी कहती है. राज करण (2), सोनी (6), अंकित (12) गुलाब के बच्चे हैं.

ये बच्चे स्कूल नहीं जाते क्योंकि स्कूल नदी की दूसरी तरफ पड़ता है. वहां आने-जाने के लिए कोई सुरक्षित रास्ता नहीं है.

यूपी चुनाव 2017: ज्यादातर बच्चे कम उम्र में ही खेती में परिवार का हाथ बंटाने लग जाते है. अपने पसंदीदा खेल के बारे में पूछे जाने पर कहते हैं कि हमें किसी खास खेल में दिलचस्पी नहीं है. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

360 व्यू: पसीचा गांव के रामपरसाद की झोंपड़ी.

यूपी चुनाव 2017: गांव के दूसरे घरों की अपेक्षा रामपरसाद का घर बेहतर है. इसमें बरामदा है, खाना बनाने के लिए अलग से जगह है और चारो तरफ दाल की बोरियां हैं. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

दिनभर मछली पकड़ने के बाद फुरसत से खाना खाते हुए रामपरसाद कहता है- “मैं खुश हूं. थोड़ा मुश्किल है पर हम काट लेते हैं.” रामपरसाद के चेहरे पर मुस्कुराहट दिखती है.

यूपी चुनाव 2017: रामपरसाद की थाली जिसमें भात, टमाटर की चटनी और आम का अचार है. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

“वोटर के तौर पर मेरा नाम दर्ज है पर मेरे पास वोटर कार्ड नहीं है. जब मैं बूथ पर वोट डालने जाता हूं तो ले जाने वाले लोग हमें पर्ची देते हैं. कभी-कभी राजनीतिक पार्टी हमें लेकर जाते हैं.” परसाद कहता है.

यूपी चुनाव 2017: रामपरसाद के पास छोटी-मोटी बिजली की जरुरत को पूरा करने के लिए एक रिचार्जेबल बैटरी है जिसे वो सोलर प्लेट से चार्ज करता है. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

गांव में बिजली नहीं है. लोग जुगाड़ से काम चलाते हैं जैसे रिचार्जेबल बैटरी.

परसाद कहता है- “हम छोटे सोलर पैनल से बैटरी रिचार्ज करते हैं.”

यूपी चुनाव 2017: हमें रामपरसाद के पास फोन दिखा जबकि हमारे फोन में नेटवर्क नहीं था. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

“आपके पास मोबाइल फोन भी है?” मैंने रामपरसाद से पूछा.

“अरे, आपको इस गांव में लोगों से ज्यादा मोबाइल फोन दिखेगा.” हंसते हुए रामपरसाद कहता है.

यूपी चुनाव 2017: एक ‘नौजवान नाविक’ अपने नाव के साथ दिखा हम लौटने के लिए दोबारा नदी के किनारे पहुंचे. (फोटो: आकिब रजा खान/द क्विंट)

कई चुनाव आए और गए लेकिन पसीचा अबतक अछूता रहा है विकास से. नदी के साथ रह रहे लोगों की जान हमेशा जोखिम में रहती है.

धारा के इस ‘गुप्त गांव’ को एक राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरुरत है जो इसके भाग्य को बदल सके.

क्या 2017 का यूपी चुनाव इनके लिए उम्मीद लेकर आएगा?

(यह फोटो स्टोरी पहली बार द क्विंट पर छपी थी. इसका हिंदी अनुवाद कौशिकी कश्यप ने किया है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT