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बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की नजदीकियां परवान चढ़ रहीं हैं. यही वजह है कि राज्यसभा चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार की हार भी यूपी की राजनीति में बन रहे इस नये सियासी समीकरण की राह में बाधा नहीं बन पाई.
अब बीजेपी का रथ रोकने के लिए बनी नई सियासी जोड़ी अपने संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम बढ़ा रही है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने विधान परिषद चुनावों में बीएसपी के समर्थन का ऐलान किया है. अखिलेश के इस कदम को राज्यसभा चुनाव में बीएसपी की हार की भरपाई के तौर पर देखा जा रहा है.
गोरखपुर और फूलपुर में बीएसपी के सहयोग से मिली बंपर जीत का अखिलेश राज्यसभा चुनाव में भले ही मायावती को ‘रिटर्न गिफ्ट’ न दे पाए हों, लेकिन अब वे इस उधार को विधान परिषद के चुनाव में उतार देना चाहते हैं. यही वजह है कि अखिलेश ने बीएसपी के लिए एक सीट छोड़ने का फैसला किया है.
गोरखपुर और फूलपुर सीट पर हुए उपचुनाव से ठीक पहले बीएसपी और एसपी के बीच सहमति बनी थी. उस समय मायावती ने 'गिव एंड टेक' के फॉर्मूले पर दोनों सीटों पर एसपी उम्मीदवारों का समर्थन किया था. बदले में बीएसपी को राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में समर्थन का वादा किया गया था. लेकिन राज्यसभा चुनाव में एसपी के सहयोग के बावजूद बीएसपी उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर हार गए.
इसी हार की भरपाई के लिए अब अखिलेश ने विधान परिषद चुनाव में केवल एक उम्मीदवार उतारा और दूसरी सीट बीएसपी के लिए छोड़ दी. दोनों दल मिलकर विधान परिषद का चुनाव लड़ रहे हैं. एसपी अपने अतिरिक्त वोट बीएसपी उम्मीदवार के पक्ष में करेगी.
समाजवादी पार्टी ने अब तक विधान परिषद चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है. विधान परिषद के जिन 13 सदस्यों की सीट खाली हो रही है, उनमें एक अखिलेश यादव भी हैं. लेकिन यह तय माना जा रहा है कि इस एक सीट के लिए अखिलेश खुद दावेदारी नहीं करेंगे.
दरअसल, अखिलेश कई मर्तबा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह चुके हैं कि वह साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरेंगे. अखिलेश के कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है. फिलहाल, इस सीट से अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव सांसद हैं, जबकि डिंपल से पहले अखिलेश ही इस सीट से सांसद थे.
राज्य की 38 विधान परिषद सीटों से में 13 सीटों पर चुनाव होने हैं. 5 मई को इनमें से 12 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहे हैं, जबकि एक सीट पहले से ही खाली है. विधान परिषद सदस्य का चुनाव विधानसभा सदस्य करते हैं.
विधान परिषद की 13 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में पहली वरीयता के वोटों से जीत के लिए हर उम्मीदवार को 29 वोटों की जरूरत होगी. एसपी के पास 47 और बीएसपी के पास 19 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 7 विधायक हैं. ऐसे में एसपी-बीएसपी के एक-एक उम्मीदवार को आसानी से जीत मिलेगी.
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Published: 12 Apr 2018,01:56 PM IST