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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के तीन प्रवासियों से हमने बात की जो पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं. जानिए दोनों राज्यों को लेकर क्या है उनका नजरिया.
पंजाब में अमृतसर के नवा कोट गांव के निवासी देव नारायण कहते हैं, "मैं यहां बहुत कम उम्र में आया था. तब से अब तक 30 साल हो चुके हैं. अब ये मेरा घर है."
नारायण उत्तर प्रदेश के उन लाखों प्रवासियों में से एक हैं जो काम की तलाश में पंजाब आते हैं. उनकी तरह ही कुछ लोगों के लिए पंजाब अब उनका घर है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो थोड़े बहुत पैसे जोड़ लेने के बाद अब यहां से वापस लौटना चाहते हैं और कहीं दूसरी जगह जाना चाहते हैं.
पंजाब और उत्तर प्रदेश दोनों ही राज्यों में एक ही समय में चुनाव होने जा रहे हैं. हमने उत्तर प्रदेश से आए कुछ प्रवासी मजदूरों से बात की जो फिलहाल पंजाब में रह रहे हैं.
हम यहां आपके सामने उत्तर प्रदेश के तीन प्रवासियों की कहानी लेकर आए हैं, जो पंजाब के अलग अलग हिस्सों में रह रहे हैं. इन तीनों की उम्र भी अलग अलग है और दोनों राज्यों को लेकर इनका नजरिया भी बिल्कुल अलग है.
हालांकि ये पंजाब में रह रहे उत्तर प्रदेश के सभी प्रवासियों के नजरिये को नहीं दिखाता, लेकिन उम्मीद है कि इससे आपको एक झलक जरूर मिलगी कि अलग अलग प्रवासियों के मन में दोनों राज्यों को लेकर क्या है और वो क्या सोचते हैं.
देव नारायण की उम्र 60 के आसपास होगी. उन्होंने अपनी आधी जिंदगी पंजाब में गुजारी है. उनका सेंस ऑफ ह्यूमर कमाल का है और आप ये समझ नहीं सकते कि कब वो मजाक कर रहे हैं और कब गंभीर हैं.
अपने पंजाब आने की कहानी बताते हुए उन्होंने कहा,
यहां बता दें कि हमने इसकी पुष्टि नहीं की है कि क्या इस गांव का नाम सच में कभी चोर कोट था. जब नारायण से हमने पूछा कि वो यूपी में कहां से आते हैं तो उन्होंने कहा, आमतौर पर मैं लोगों को ये बताना पसंद नहीं करता कि मैं कहां से हूं क्योंकि अब मैं यहां हूं और मुझे यहां रहते लंबा वक्त हो गया है. ये मेरा घर है.
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि प्रवासी होने पर आपके सामने कुछ न कुछ दिक्कतें आती रहती हैं, लेकिन कुछ छोटी मोटी बातों को छोड़ दें तो वो मानते हैं कि यहां नवा कोट में खुशहाल जीवन जी रहे हैं.
उन्होंने कहा, क्या मैं आपको बताऊं कि वॉचमैन होने में सबसे अच्छी बात क्या है? दरअसल, इसमें सबसे अच्छा ये है कि चाहे फैक्ट्री चल रही हो या बंद हो. मेरी नौकरी पर इसका असर नहीं पड़ता क्योंकि, खाली फैक्ट्री की रखवाली के लिए भी आपको किसी की जरूरत होगी ही.
उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे हैं और दोनों पंजाब में ही रहते हैं. एक बेटा दर्जी और दूसरे को लेकर उन्होंने कहा कि वो लोफर हैं. जब हमने उनसे पूछा कि उन्होंने अपने बेटे को लोफर क्यों कहा तो हंसते हुए उन्होंने कहा कि अगर वो लोफर है तो मैं उसे लोफर ही कहूंगा, पटवारी तो नहीं कह सकता? जब हम बात कर रहे थे, तो वहां एक गांव की महिला आई और उसने नारायण से कहा कि पंचायत की बनवाई सार्वजनिक बिल्डिंग में किसी शराबी को न घुसने दें.
नारायण ने पंजाबी में जवाब दिया,
19 साल के बबलू जालंधर बाहरी दक्षिणी इलाके में रहते हैं. वह पंजाब में ही पैदा हुए हैं इसलिए काफी लंबा वक्त उन्होंने यहां गुजारा है, लेकिन बबलू का परिवार पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया से ताल्लुक रखता है.
बबलू का नजरिया नारायण से बहुत अलग है और वो पंजाब से कहीं ज्यादा अच्छा उत्तर प्रदेश में महसूस करते हैं.
वह कहते हैं, लोग पंजाब और उत्तर प्रदेश के बीच अंतर को बढ़ा चढ़ाकर दिखाते हैं. आप यूपी की सड़कों को देखिए. वहां की सड़कें पंजाब की सड़कों से कहीं ज्यादा चौड़ी हैं. असल में यहां लोगों के पास पैसे ज्यादा हैं और वो इसका दिखावा ज्यादा करते हैं. बाकी अगर सुविधाओं की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश कहीं से भी पंजाब से कम नहीं है.
वहीं जब उनसे ये पूछा गया कि ये सारी जानकारी उन्हें कहां से मिलती तो उन्होंने बताया कि ये सब सोशल मीडिया पर देखा था.
बबलू का परिवार 20 साल पहले पंजाब आया था. उनके पिता ने कुछ सालों तक दिहाड़ी मजदूरी की और कई तरह के छोटे मोटे काम किए. सालों तक पैसे जोड़कर उन्होंने एक किराने की दुकान खोली है. शाम में इस दुकान को संभालने का काम बबलू का है.
जब उससे पूछा गया यहां हमें से उसका मतलब क्या है तो उसने साफ कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में नहीं होते, तो ये सभी पार्टियां मिलकर पंजाब को पाकिस्तान बना देंगे. हमने उससे पूछा कि ऐसा कहने के पीछे उसका मतलब क्या है, तो बबलू ने कहा, लोग यहां पीएम मोदी के हर काम का विरोध करते हैं. कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया, तो अब वो इससे ज्यादा क्या चाहते हैं.
बबलू की नजर पंजाब से ज्यादा उत्तर प्रदेश के चुनावों पर है. उनका कहना है, मैं चाहता हूं कि योगी आदित्यनाथ यूपी चुनाव में जीत हासिल करें और इतना ही नहीं वो अगले प्रधानमंत्री भी बनें. वो पीएम मोदी के सबसे उपयुक्त उत्तराधिकारी होंगे. उन्होंने उत्तर प्रदेश में बहुत काम किया है.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के आशीष कुमार संगरूर में एक छोटा सा स्टॉल चलाते हैं और यहां स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक्स बेचते हैं. आशीष पिछले 6 साल से पंजाब में रह रहे हैं और नारायण, बबलू की तुलना में पंजाब आने वाले नए नए प्रवासी हैं. पंजाब में विकास को लेकर उनका नजरिया बबलू से पूरी तरह अलग और उलट है.
वह कहते हैं, यहां के गांवों में उत्तर प्रदेश के कई छोटे शहरों से ज्यादा सुविधाएं हैं और यहां के छोटे शहर भी यूपी के शहरों से कहीं ज्यादा विकसित हैं.
वह आगे कहते हैं, आप बस स्टैंड्स को ही देख लीजिए. यहां के छोटे शहरों में भी एक ठीक तरह का बस स्टैंड आपको मिल जाएगा, जहां लोग बैठ सकते हैं, बस का इंतजार कर सकते हैं. बसों को पार्क करने के लिए यहां एक निश्चित जगह है. यूपी में कई जगहों पर आपको इस तरह की सुविधा नहीं मिलेगी.
आशीष का कहना है कि वह इतना कमा लेते हैं कि कुछ पैसे घर भेज पाते हैं. वह कहते हैं, मेरे परिवार की प्रतापगढ़ में एक छोटी सी जमीन है, जहां हम सब्जियां उगाते हैं. इसके अलावा दुकान से जो कमाई होती है उसमें से कुछ पैसे मैं घर भेज देता हूं, लेकिन ये काफी नहीं होता. मैं कोशिश कर रहा हूं कि मुझे कोई दूसरा काम मिल जाए.
आशीष पहले एक फैक्ट्री में काम करते थे, लेकिन साल 2020 में लॉकडाउन के बाद उनका काम छूट गया और कई महीनों तक उन्हें खाली बैठना पड़ा. इसके बाद उन्होंने पैकेज्ड स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक्स बेचना शुरू किया. वह उत्तर प्रदेश के वोटर हैं और उन्हें उम्मीद है कि वोट डालने अपने होमटाउन जाएंगे, लेकिन साथ ही वो ये भी कहते हैं कि काश, मैं पंजाब में वोट डाल पाता.
वह कहते हैं, कांग्रेस नेता विजय इंदर सिंगला यहां से विधायक हैं. उन्होंने इस क्षेत्र में काफी काम किया है. उन्होंने यहां कई चीजें बनवाई हैं और कई चीजों की मरम्मत भी करवाई है.
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Published: 12 Feb 2022,09:06 AM IST