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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में शानदार प्रदर्शन करने बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव बुधवार (12 जून) को अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. दरअसल, हालियां संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में एसपी 37 सीटें जीतकर यूपी की सबसे बड़ी पार्टी बनी है. खुद अखिलेश यादव ने कन्नौज सीट से बड़ी जीत हासिल की है. ऐसे में अखिलेश अब लखनऊ छोड़ दिल्ली में बीजेपी को घेरते नजर आएंगे. वहीं, विधायकी छोड़ने के साथ अखिलेश को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से भी इस्तीफा देना होगा. ऐसे में सदन में विपक्ष की अगुवाई कौन करेगा, आइए जानते हैं.
अखिलेश यादव के करहट सीट से इस्तीफा देने के बाद चर्चा है कि सदन में विपक्ष का नेता कौन होगा. सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव "पीडीए" फॉर्मूले के तहत तीन नामों पर दांव लगा सकते हैं, जिनमें शिवपाल यादव, इंद्रजीत सरोज और कमाल फारुखी का नाम शामिल है. शिवपाल यादव ओबीसी तो इंद्रजीत सरोज दलित बिरादरी से आते हैं जबकि कमाल फारुखी मुस्लिम हैं.
जसवंत नगर सीट से छह बार विधायक शिवपाल यादव का नाम रेस से सबसे आगे है. दरअसल, शिवपाल 2009-2012 के बीच वो नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं. उनके पास सरकार और संगठन दोनों का लंबा अनुभव है. उन्हें संगठन का जबरदस्त आदमी माना जाता है. इतना ही नहीं, वो लंबे समय से एसपी संस्थापक मुलायम सिंह यादव और समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्रा के साथ काम भी किया है. वर्तमान में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव प्रदेश में अच्छी पकड़ रखते हैं.
जानकारों की मानें तो, अखिलेश शिवपाल को नेता प्रतिपक्ष बनाकर एक तीर से कई निशाने करना चाहते हैं. पहला, जो शिवपाल को लेकर बार-बार नाराज होने की खबर चलती है और जिस पर बीजेपी तंज कसती है, उन पर लगाम लगेगी. दूसरा, शिवपाल फिलहाल पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, जिसका लाभ सदन में एसपी को मिलेगा. तीसरा, शिवपाल को ये पद देकर अखिलेश ये संदेश देने में सफल होंगे कि चाचा-भतीजे में तालमेल बेहतर है. चौथा, सदन में योगी आदित्यनाथ जैसे नेता के सामने, जो मझा हुआ राजनीतिज्ञ चाहिए, उसमें शिवपाल सबसे फिट भी बैठते हैं.
इंद्रजीत सरोज ने 1985 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद राजनीति में कदम रखा. 1996 के विधानसभा चुनाव में वह मंझनपुर से पहली बार विधायक चुने गए. कई बार यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सरोज मंझनपुर विधानसभा से अब तक चार बार विधायक रहे हैं. 2018 में बहुजन समाज पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए इंद्रजीत सरोज की दलित समाज में अच्छी पकड़ मानी जाती है.
मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे कमाल अख्तर साल 2004 में सीधे राज्यसभा पहुंचे थे. राजनीतिक करियर की शुरूआत बतौर राज्यसभा सदस्य से की. 2012 में समाजवादी पार्टी ने कमाल अख्तर को अमरोहा की हसनपुर सीट से मैदान में उतारा था. कमाल अख्तर ने जीत दर्ज की और उन्हें पंचायती राज मंत्री बना दिया गया. इसके बाद साल 2015 में अखिलेश यादव सरकार में उन्हें खाद्य एवं रसद विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया.
2022 में समाजवादी पार्टी ने कमाल फारूखी को मुरादाबाद की कांठ सीट से विधानसभा का टिकट दिया और वह वहां से चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं.
लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कन्नौज से जीत दर्ज की है. अखिलेश यादव ने कन्नौज से बीजेपी के सुब्रत पाठक को 170922 वोटों के अंतर से हराया. अब अखिलेश विधानसभा छोड़ संसद में अपनी एंट्री करने जा रहे हैं.
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