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उत्तराखंड: देवस्थानम बोर्ड सरकार ने किया भंग, साधु-संतों की मांग के बाद फैसला

पुरोहितों का वर्ग देवस्थानम बोर्ड को लेकर त्रिवेन्द्र सरकार से काफी नाराज था

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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<div class="paragraphs"><p>साधु-संतों की मांग के बाद राज्य सरकार ने भंग किया देवस्थानम बोर्ड</p></div>
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साधु-संतों की मांग के बाद राज्य सरकार ने भंग किया देवस्थानम बोर्ड

(फोटो- क्विंट हिन्दी)

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30 नवंबर को उत्तराखंड (Uttarakhand) की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया, जिसका गठन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के कार्यकाल में किया गया था.

सीएम धामी ने पिछले दिनों देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम के संबंध में वरिष्ठ बीजेपी नेता मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया था. उसके बाद कमेटी ने मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.

मुख्यमंत्री ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया. उपसमिति में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और स्वामी यतीश्वरानंद को सदस्य बनाया गया.

उपसमिति ने भी अब अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी, जिसके चलते देवस्थानम बोर्ड को उत्तराखंड सरकार के द्वारा भंग कर दिया गया है.

लंबे समय से थी साधु-संतों की मांग

तीर्थ पुरोहितों का वर्ग देवस्थानम बोर्ड को लेकर त्रिवेन्द्र सरकार से काफी नाराज था और वो लंबे समय से इसे भंग करने की मांग कर रहे थे. रिपोर्ट के मुताबिक उम्मीद है कि जल्द ही उत्तराखंड के शीतकालीन सत्र में एक्ट को भी रद्द किया जाएगा.

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देवस्थानम बोर्ड के मुद्दे को लेकर साधु-संतों ने पीएम मोदी के केदारनाथ दौरे का विरोध भी किया था.

बता दें कि देवस्थानम बोर्ड का गठन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार द्वारा जनवरी 2020 में किया गया था. इस बोर्ड के बाद राज्य सरकार के पास राज्य की 51 मंदिरों का नियंत्रण सूबे की सरकार के पास आ गया था. बोर्ड के गठन होने के बाद से ही तीर्थ सरकार के प्रति नाराजगी थी और इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे.

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