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राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों और बीजेपी के मौजूदा राज्य नेतृत्व के बीच ‘टकराव’, जो पहले पोस्टर युद्ध तक सीमित था, अब खुली जुबानी झड़पों में फैल गया है.
राज्य पार्टी मुख्यालय से उनके पोस्टर हटाए जाने के बाद पिछले कुछ दिनों में, राजे के समर्थक राज्य में अत्यधिक सक्रिय हो गए हैं. उनमें से कई ने सर्वसम्मति से कहा है कि राजे राज्य में भगवा पार्टी की एकमात्र नेता हैं.
बीजेपी के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत और प्रहलाद गुनेल, प्रताप सिंह सिंघवी के साथ पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली ने सार्वजनिक रूप से राजे को रेगिस्तानी राज्य में अपना एकमात्र नेता घोषित किया है. अपने बयानों में उन्होंने कहा कि राजस्थान में राजे ही बीजेपी हैं और बीजेपी ही राजे है.
उन्होंने कहा, "यह जरूरी है कि पार्टी के प्रमुख लोग, चाहे विधायक, सांसद या कोई भी पदाधिकारी इस तरह के बयान देकर अनावश्यक जोड़-तोड़ से बचें क्योंकि यह ना तो उनकी सेवा करता है और ना ही पार्टी के हित में है."
पूनिया ने कहा, "हर व्यक्ति को पार्टी के मंच पर बोलने का मौका दिया जाता है, लेकिन सार्वजनिक मंचों पर ऐसी बातें कहना पार्टी के संविधान के खिलाफ है. पार्टी का हित हमारे लिए सर्वोपरि है. भले ही कुछ कार्यकर्ता ऐसे बयान दे रहे हैं किसी कारण से व्यक्तिगत आधार पर, लेकिन यह पार्टी की सीमा के भीतर नहीं आता है. पार्टी ऐसे लोगों को जानती है और क्या होगा और कब होगा, इस पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है, हालांकि, जो कुछ भी होगा, हमें पता चल जाएगा."
यह पूछे जाने पर कि क्या यह रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को दी जाएगी, पूनिया ने कहा, "सभी की आंखें और कान हैं. सभी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचती हैं. लेकिन सही समय की प्रतीक्षा करें."
पत्रकारों से बातचीत के दौरान कटारिया ने राजे के समर्थकों को यह भी संदेश दिया कि बीजेपी में पहले देश आता है, फिर पार्टी और तीसरे नंबर पर नेता आता हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी और पार्टी की मर्यादा ही हमारे लिए सर्वोपरि है.
राजे पिछले कई महीनों से राज्य नेतृत्व के समानांतर चल रही हैं. वसुंधरा जन रसोई चला रही हैं जब पार्टी महामारी के दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए सेवा ही संगठन अभियान चला रही है. साथ ही वह पार्टी की बैठकों और वर्चुअल बैठकों में भी शामिल नहीं हो रही हैं.
हाल ही में जब राज्य बीजेपी ने सीएम अशोक गहलोत के कामकाज के खिलाफ अभियान चलाया, तो उन्होंने अभियान में भाग नहीं लिया.
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