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लगातार विवादित बयान देने वाले दिलीप घोष का इतिहास-वर्तमान जानिए

पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष अपने विवादित बयानों की वजह से अकसर सुर्खियों में रहते हैं.

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पश्चिम बंगाल बीजेपी चीफ दिलीप घोष 
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पश्चिम बंगाल बीजेपी चीफ दिलीप घोष 
(फोटो: आईएएनएस) 

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पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष अपने विवादित बयानों की वजह से अकसर चर्चा में रहते हैं. आजकल दिलीप घोष सीएए और एनआरसी का विरोध करने वाले लोगों पर हमलावर हैं. रविवार को दिलीप घोष ने कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को गोली मार दी जाएगी.

ममता बनर्जी की सरकार के शासन में कोई भी शख्स 500 करोड़ की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा कर बच सकता है. लेकिन जब हम सत्ता में आएंगे तो ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें गोली मार देंगे. किसी को छोड़ा नहीं जाएगा.
दिलीप घोष, अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल बीजेपी

हाल ही में घोष ने प्रदर्शनकारियों पर हमला बोलते हुए कहा था, समाज के जो लोग नागरिकता साबित करने के लिए कागज नहीं दिखाने की बात कह रहे हैं, वो ‘अपना चेहरा दिखाने लायक’ नहीं रहेंगे. इससे पहले उन्होंने प्रदर्शनकारियों को ‘कुत्ते की तरह गोली मारने’ की बात कही थी. उनके इस बयान पर तो एफआईआर भी दर्ज हो गई.

बंगाल के नदिया जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए घोष ने कहा था कि ममता बनर्जी की पुलिस ने सार्वजनिक सपंत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि वो उनके वोटर थे. उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों में इन लोगों को कुत्तों की तरह गोली मारी गई.

दूसरी बार बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष चुने गए दिलीप

दिलीप घोष को पश्चिम बंगाल में बीजेपी के विकास का श्रेय दिया जाता है. प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर घोष के कार्यकाल के दौरान पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने काफी तरक्की की और पार्टी ने राज्य में लोकसभा में 42 संसदीय सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की थी.

बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने हाल ही में दिलीप घोष को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए प्रदेश अध्यक्ष चुना है. पहली बार उन्हें साल 2015 में प्रदेश अध्यक्ष चुना गया था.

दिलीप घोष का जन्म 1 अगस्त 1964 को पश्चिम मिदनापुर जिले के गोपीवल्लभपुर के पास कुलिना गांव में हुआ था. यहीं से उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए झारग्राम चले गए. साल 1984, यानी कि 20 साल की उम्र में दिलीप घोष की जिंदगी में तब बड़ा मोड़ आया जब वह आरएसएस से जुड़े.

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संघ से सीखी राजनीति की ABCD

दिलीप घोष कम उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गए. यहां उन्होंने दक्षिणपंथ की राजनीति की सीख ली. पहले उन्होंने वालंटियर के रूप में काम किया. कुछ समय बाद उन्हें संघ में अंडमान निकोबार का इंचार्ज बना दिया गया.

इसके बाद संघ के जरिए बीजेपी से जुड़ गए. साल 2014 में दिलीप, पश्चिम बंगाल में बीजेपी के महासचिव बन गए. अगले साल उन्हें पश्चिम बंगाल बीजेपी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. 2016 में खड़गपुर सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद 2017 में उन्हें पश्चिम बंगाल बीजेपी का अध्यक्ष चुना गया.

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Published: 19 Jan 2020,08:40 PM IST

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